अंबिकापुर के महामाया पहाड़ में अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई के बाद अधिकांश परिवारों ने पास के मैदान में शरण ली है, जहां खुले आसमाने के नीचे कड़ाके की ठंड में ठिठुरते हुए सभी की पहली रात गुजरी। जब तक हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने पर मौखिक रोक लगाई, 38 घर टूट चुके थे और इनमें रहने वाले परिवार बेघर हो गए। बेघर हुए इन परिवारों के लिए न तो वन विभाग और न ही प्रशासन ने कोई भी पहल की है। बेघर हुए परिवारों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। महामाया पहाड़ के रिजर्व फारेस्ट एरिया में बड़ी संख्या में अवैध अतिक्रमण हुए। वर्ष 2017 में हुए सर्वे में 440 परिवारों का कब्जा पाया गया। इनमें से 182 को नोटिस दिया गया था। 60 परिवारों को बेदखली के लिए अंतिम चेतावनी दी गई थी। शुक्रवार को इन परिवारों को 24 घंटे में घर खाली करने के लिए नोटिस थमा दिया गया। रविवार तड़के से बेजा कब्जा हटाने प्रशासनिक अमले के साथ पुलिसकर्मी पहुंच गए। 38 घर तोड़े, पांच दिनों की राहत
टीम के पहुंचने के पूर्व ही लोगों ने अपना सामान हटाना शुरू कर दिया था और पहाड़ के पास बने मैदान में सामानों को शिफ्ट किया गया। जब तक बिलासपुर हाईकोर्ट से कार्रवाई रोकने का मौखिक आदेश मिला, 38 घर टूट चुके थे। अन्य घरों के लोगों ने भी अपनी शीट एवं जरूरी सामान हटाकर मैदान में शिफ्ट कर दिया था। हाईकोर्ट बिलासपुर में मामले की अगली सुनवाई पांच दिनों बाद होगी, तब तक कार्रवाई के लिए स्टे दिया गया है। हालांकि अवैध कब्जा रिजर्व फारेस्ट इलाके में है, जिसमें कब्जाधारियों को स्टे मिलने की उम्मीद न के बराबर है। खुले आसमान के नीचे गुजारी रात
कार्रवाई से बेघर हुए लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात गुजारी। कुछ लोगों ने उपलब्ध संसाधनों से खंभे गाड़कर सिर छिपाने का सहारा बनाया। स्थानीय लोगों ने बेघर हुए लोगों की मदद की और टेंट, कनात लगवाया। सार्वजनिक खाना बनवाया। आग जलाकर लोग ठंड से बचने का उपाय करते दिखे। सर्द रात में लोग ठिठुरते रहे। बेघर हुए लोगों ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचे। घरों के टूटने के कारण लोगों को शौच के लिए भी खुले में जाना पड़ा। कार्रवाई में हड़बड़ी पर उठे सवाल
रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के निर्देश वनमंत्री केदार कश्यप ने दिया तो वनविभाग ने शुक्रवार को नोटिस देकर 24 घंटे में कब्जा खाली करने का आदेश दे दिया। शनिवार व रविवार अवकाश होने के कारण लोग मोहलत के लिए न तो हाईकोर्ट जा सके, न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था ही कर सके। बेघर लोगों ने कहा कि कुछ मोहलत मिल जाती तो वे किराए का मकान या विकल्प ढूंढ सकते थे। सोमवार को कार्रवाई के दौरान नवागढ़ के दोनों प्राथमिक शालाएं बंद रहीं। बेघर हुए परिवारों के बच्चे मंगलवार को भी स्कूल नहीं गए। कांग्रेस नेताओं ने भी हड़बड़ी में की जा रही कार्रवाई पर ऐतराज जताया। कांग्रेस नेता शफी अहमद ने कहा कि राजस्व व वनभूमि का चिन्हांकन नहीं किया गया है। इसके पूर्व ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है। टीएस ने कहा-बिना दबाव के हो कार्रवाई
मामले को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट में भी प्रशासन एवं वन अमले द्वारा की गई जल्दबाजी पर लिखा है कि उम्मीद है कि वन और राजस्व क्षेत्र की जांच कराकर बिना किसी दबाव क प्रशासन न्यायोचित निर्णय लेगा।