छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 6 महीने की गर्भवती रेप पीड़िता के अबॉर्शन कराने की अनुमति की मांग को मंजूरी दे दी है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने कहा कि बलात्कार पीड़िता महिला को गर्भपात कराने की अनुमति दी जा सकती है, क्योंकि ऐसी गर्भावस्था से महिला को बेहद मानसिक पीड़ा होती है। उनकी मनोस्थिति को गंभीर क्षति पहुंचती है, इसलिए उसे बलात्कारी के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस गुरु ने कहा कि शुक्रवार की सुबह रायगढ़ के मेडिकल जिला अस्पताल या फिर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराने के निर्देश दिए हैं। अबॉर्शन कराने की अनुमति की मांग को लेकर याचिका दरअसल, सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की नाबालिग रेप पीड़िता ने अबॉर्शन कराने की अनुमति की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। नाबालिग के साथ एक युवक ने पहले दोस्ती की, जिसके बाद उसे अपने प्रेमजाल में फंसा लिया। नाबालिग भी उसकी बातों में आकर उससे प्यार करने लगी, फिर युवक ने शादी करने का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया। युवक उसके साथ लगातार शारीरिक संबंध बनाता रहा, जिससे नाबालिग गर्भवती हो गई। बाद में युवक ने उसके साथ शादी करने से इनकार कर दिया। जेल में बंद है आरोपी, अबॉर्शन के लिए भटकती रही नाबालिग प्रेमी युवक की हरकतों से नाबालिग परेशान होती रही। आखिरकार, उसने इस मामले की शिकायत पुलिस की, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी युवक के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन, पीड़िता नाबालिग की परेशानियां कम नहीं हुई। वो बिना शादी के मां बनना नहीं चाहती। लिहाजा, उसने गर्भपात कराने के लिए अस्पतालों के चक्कर काटी, लेकिन कानूनी प्रावधान के चलते उसका गर्भपात भी नहीं हो सका। हाईकोर्ट ने दिखाई संवेदनशीलता, अवकाश के दिन की सुनवाई पीड़िता ने अबॉर्शन कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें उसने जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया। याचिका में बताया कि याचिकाकर्ता 24 सप्ताह की गर्भवती है। वह अबॉर्शन करवाना चाहती है। जिस पर हाईकोर्ट ने संवेदनशीलता दिखाई। 30 दिसंबर को शीतकालीन अवकाश के बीच रजिस्ट्रार जनरल ने चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के निर्देश पर स्पेशल बेंच का गठन किया। फिर जस्टिस बीडी गुरु की स्पेशल बेंच ने केस की सुनवाई करते हुए रायगढ़ के CMHO को मेडिकल बोर्ड का गठन कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। अबॉर्शन की याचिका मंजूर, तत्काल गर्भपात कराने का आदेश गुरुवार को इस केस की सुनवाई शुरू हुई, तब पीड़िता का मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया, जिसमें बताया गया कि 24 सप्ताह 6 महीने का गर्भ हो गया है, जिसका भ्रूण स्वस्थ्य है। यह भी बताया कि पीड़िता का विशेष देखभाल और स्वास्थ्य सुविधा के साथ गर्भपात किया जा सकता है। वहीं, पीड़िता की तरफ से एडवोकेट ने अबॉर्शन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसलों का हवाला दिया गया। उन्होंने कहा कि बलात्कार पीड़िता के जीवन को बचाने के लिए गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है। बशर्ते कि उस महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा न हो। डीएनए प्रिजर्व करने का दिया आदेश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस केस में तथ्यों से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता का गर्भ 24 सप्ताह की अवधि पार कर चुका है, जब तक गर्भपात का निर्देश देने वाला न्यायिक आदेश उपलब्ध नहीं हो जाता, तब तक डॉक्टरों के लिए गर्भपात की कार्रवाई करना भी संभव नहीं हो सकता है। ऐसी स्थिति में बलात्कार की पीड़िता को इतनी आज़ादी और अधिकार मिलनी ही चाहिए कि उसे गर्भावस्था जारी रखना है या नहीं। हाईकोर्ट ने कहा कि इस केस में आपराधिक प्रकरण दर्ज है। लिहाजा, गर्भपात करने के दौरान भ्रूण को डीएनए टेस्ट के लिए सुरक्षित रखा जाए। ……………… रेप पीड़िता को हाईकोर्ट से अबॉर्शन की मंजूरी: शुक्रवार को बिलासपुर में होगा गर्भपात, DNA सुरक्षित रखने के भी निर्देश; 5 महीने की है गर्भवती बिलासपुर रेप केस में हाईकोर्ट ने पीड़िता प्रेग्नेंट युवती के अबॉर्शन की मंजूरी दे दी है। युवती को शुक्रवार को जिला अस्पताल पहुंचकर अबॉर्शन कराने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पुलिस को DNA सुरक्षित रखने भी कहा है। पढें पूरी खबर…

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