इंडोनेशिया ने राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा, ‘G-20 की अध्यक्षता के रूप में इंडोनेशिया ने मतभेदों को पाटने के लिए पूरा प्रयास किया लेकिन सफलता तभी मिलेगी जब हम सभी इसके लिए प्रतिबद्ध होंगे।’
इंडोनेशिया के बाली प्रांत में मंगलवार को वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई, जिसमें कई वैश्विक नेता शिरकत कर रहे हैं। सम्मेलन में कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17वें G-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बाली के अपूर्व केम्पिसंकी होटल पहुंचे। यहां वह खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा का पर चर्चा चल रही है। मोदी के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और G-20 शेरपा अमिताभ कांत भी मौजूद हैं। होटल में पीएम मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अन्य नेता मौजूद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सम्मेलन के दौरान बातचीत की।
भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में अभिवादन स्वीकार करते मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया के बाली में भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। कुछ ही देर में PM कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा हुई
बयान के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 2 मार्च के प्रस्ताव में अपनाए रुख को दोहरते हुए ‘रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की गई और यूक्रेन से उसकी बिना किसी शर्त वापसी की मांग की गई। मसौदे में स्थिति पर सदस्य देशों की अलग-अलग राय और रूस के खिलाफ लगाए प्रतिबंधों का भी जिक्र है। इसमें यह भी कहा गया कि जी20 सुरक्षा मुद्दों का समाधान निकालने का मंच नहीं है।
जी-20 में यूक्रेन युद्ध खत्म करने की अपील
जी-20 घोषणापत्र मसौदे में यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता की संयुक्त राष्ट्र की ओर से की गई निंदा का समर्थन किया गया। हालांकि, स्थिति पर सदस्य देशों के अलग-अलग विचारों को भी स्वीकार किया गया। मसौदा प्रस्ताव पर विचार विमर्श जारी है।
‘विकासशील देशों को सशक्त बनाने की जरूरत’
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा, ‘समाधान के हिस्से के रूप में विकासशील देशों को सशक्त बनाया जाना चाहिए। स्वास्थ्य क्षमता में अंतराल की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विकासशील देशों को सशक्त भागीदारी की आवश्यकता है, उन्हें वैश्विक स्वास्थ्य आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा होना चाहिए।’