भास्कर न्यूज | बालोद जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जिले के ग्राम कमकापार, टेकापार, कुरूभाट, कोलाटोला में किसान व परिवार की महिलाएं खाद, कीटनाशक, फफूंदनाशक दवाई तैयार कर रहे हैं। इन चार गांव से तैयार खाद, दवाई की डिमांड जिले के 20 गांवों में है। जैविक खाद व दवाई तैयार करने के लिए सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड रुरल डेवलपमेंट की ओर से किसानों व परिवार की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। जरूरत अनुसार क्षेत्र के किसान कमकापार में स्थित जलवायु परिवर्तन एवं सूचना केंद्र से भी जैविक खाद, दवाई ले जा रहे हैं। खरीफ सीजन में 50 टंकी यानी 25 हजार लीटर कीटनाशक, फफूंदनाशक दवाई की खपत हुई थी। एक टंकी में 500 लीटर दवाई स्टोरेज रखते हैं। खरीफ सीजन में धान, रागी, कोदो के बाद अब रबी सीजन में किसान खाद, दवाई का उपयोग गेहूं, चना, सरसों व अन्य फसलों में करेंगे। सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड रुरल डेवलपमेंट के सचिव एसके. खरे ने बताया कि जैविक खेती को बढ़ावा देने किसानों व महिलाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं। यहां के किसान 700 एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं ग्राम कमकापार, टेकापार, पीड़ियाल, हितापठार, लमती, कोलाटोला, कुर्रूभाट, मुड़पार, गोटाटोला सहित 20 गांवों के लगभग 610 किसान जैविक खेती को बढ़ावा देने पहल कर रहे हैं। रबी व खरीफ दोनों सीजन में किसानों ने 700 एकड़ रकबे में धान के अलावा रागी, कोदो, तिल, अरहर, गेहूं, चना, सरसों लगाकर गांव में ही तैयार जैविक खाद, कीटनाशक, फफूंद नाशक दवा का उपयोग करने निर्णय लिया है। पहले अधिकांश किसान धान व अन्य फसल मंे रासायनिक खाद, कीटनाशक, फफूंदनाशक दवा का छिड़काव कर रहें थे।