बीकेयू (भारतीय किसान यूनियन) देश के बड़े किसान संघों में से एक है और अगर वो इस आंदोलन में हिस्सा लेता है तो सरकार के लिए नई चुनौती सामने आ सकती है.

नई दिल्ली: 

तीन कृषि कानूनों के विरोध में 2021-2022 में हुए आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च का समर्थन किया है. टिकैत ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार इन किसानों के लिए कोई समस्या पैदा करती है … तो मैं बहुत दूर नहीं हूं. मैं किसानों के साथ हूं. बताते चलें कि टिकैत भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख हैं. यह संगठन उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहा है. टिकैत उसी इलाके का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां से पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह थे. जिन्हें हाल ही में मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की गयी है.

नरेश टिकैत ने क्या कहा?
गौरतलब है कि बीकेयू देश के बड़े किसान संघों में से एक है और अगर वो इस आंदोलन में हिस्सा लेता है तो सरकार के लिए नई चुनौती सामने आ सकती है. राकेश टिकैत के भाई, नरेश टिकैत, जो बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, ने सरकार से किसानों के साथ बैठकर बातचीत करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि “देश भर में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं…सरकार को चर्चा करनी चाहिए (लेकिन) किसानों को सम्मान देना चाहिए…सोचना चाहिए और इस मुद्दे को हल करने का प्रयास करना चाहिए.

बातचीत से समाधान मुमकिन है: केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Union Minister Arjun Munda) ने किसान आंदोलन पर बात करते हुए आज कहा कि दो बार की किसानों से बातचीत बेनतीजा नहीं रही है. समाधान के लिए और चर्चा जरूरी है. एनडीटीवी से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बातचीत से समाधान मुमकिन है. रास्ता निकालने को तैयार हैं. किसान ध्यान रखें कि कुछ तत्व इसका लाभ लेने की कोशिश न करें. बहुत सारी शक्तियां हैं उनके बीच जो किसानों को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं. ऐसे लोगों से बचें.  सरकार पर विश्वास रखें. सरकार किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध.

कानून-व्यवस्था बनाए रखी जाए: High Court
इस बीच इस मामले में हाईकोर्ट (High Court) ने भी दखल दिया है. अदालत ने कहा है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जाए, बल का इस्तेमाल आखिरी उपाय हो. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि कानून- व्यवस्था बनाए रखी जाए.सभी मुद्दों का सौहार्दपूर्ण ढंग से हल निकले. सभी पक्षों को बैठकर मामले का समाधान निकालना चाहिए. बल का इस्तेमाल आखिरी उपाय हो.

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