ग्रेटर फरीदाबाद में एक ऐसा स्कूल भी है जहां के बच्चे पढ़ने से पहले गोबर उठाते हैं फिर उनकी पढ़ाई शुरू होती है। यहां चारदीवारी न होने से दिनभर पशु स्कूल में घूमते रहते हैं। इससे बच्चों और शिक्षकों को परेशानी होती है। राजकीय उच्च विद्यालय में 350 स्टूडेंट्स हैं और कमरे भी पर्याप्त हैं।

फरीदाबादग्रेटर फरीदाबाद के वजीरपुर गांव के सरकारी स्कूल की हालत कुछ ठीक नहीं है। यहां चारदीवारी न होने से दिनभर पशु स्कूल में घूमते रहते हैं। इससे बच्चों और शिक्षकों को परेशानी होती है। हाल ऐसा है कि सुबह स्कूल में आकर पहले बच्चों को गोबर उठाना पड़ता है, इसके बाद पढ़ाई शुरू हो पाती है। शुक्रवार को जिला परियोजना समन्वयक (समग्र शिक्षा) आनंद सिंह स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे तो हैरान रह गए। उन्होंने कमरों के निर्माण में पूर्व में बरती गई अनियमितताओं का रेकॉर्ड भी मांगा है।

राजकीय उच्च विद्यालय में 350 स्टूडेंट्स हैं और कमरे भी पर्याप्त हैं। स्कूल की लगभग छह एकड़ जमीन है। किसी स्कूल के पास इतनी जमीन नहीं है। चारदीवारी न होने से गांव वालों ने स्कूल की जमीन पर बिटौड़े रखे हुए हैं और पशुओं को बांधा हुआ है। आवारा पशु भी स्कूल के अंदर घुस आते हैं। पशुओं को भगाने के लिए स्टूडेंट या टीचर को दौड़ना पड़ता है। यहां से गांव वालों ने निकलने का रास्ता भी बना लिया है। स्कूल की चारदीवारी के लिए जिला परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा और जिला शिक्षा अधिकारियों को कई बार लिखा जा चुका है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।

स्कूल के निरीक्षण के बाद मांगा रेकॉर्ड
जिला परियोजना समन्वयक ने स्कूल परिसर में सर्व शिक्षा अभियान के तहत बनाए गए कमरों की हालत देखी। सात कमरों की हालत ज्यादा खराब मिली। शिकायत मिली कि दो कमरों में तो लोग शौच भी करते हैं। उन्होंने हेडमास्टर देवेंद्र कुमार से पूछा तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में अधिकारियों को अवगत कराते रहे हैं। आनंद सिंह ने प्राइमरी स्कूल में स्टूडेंट्स की पढ़ाई का स्टेट्स देखा। उन्होंने कमरों के निर्माण संबंधी रेकॉर्ड मांगा है।

पार्षद से लेकर मंत्री तक पहुंचा मामला
लोगों ने बताया कि 30 साल पहले शिव कुमार हेडमास्टर ने चारदीवारी कराई थी, जो बाद में ढह गई और लोग ईंटें उठाकर ले गए। कई बार पार्षद से लेकर केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के संज्ञान में मामला लाया जा चुका है, लेकिन समाधान नहीं हुआ। समाजसेवी बालकिशन वशिष्ठ का कहना है कि इतनी जमीन किसी स्कूल के पास नहीं है। इतनी जमीन पर कॉलेज या यूनिवर्सिटी तैयार की जा सकती है। इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए।

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