(रायपुर)। छत्‍तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर फर्जी आयुर्वेदिक डाक्टरों का मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा और हरियाणा के शासकीय विश्वविद्यालयों के बीएएमएस (बैचलर आफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) की फर्जी डिग्री लेने के बाद 22 डाक्टर या तो अस्पतालों में काम कर रहे हैं या इसकी तैयारी में हैं। प्राथमिक जांच में स्पष्ट हुआ है कि सात से 15 लाख रुपये में यह डिग्रियां हासिल की गई हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य आयुर्वेद बोर्ड में पंजीयन कराने के लिए दूसरे राज्यों में पढ़े चिकित्सकों के दस्तावेजों की संदेह के आधार पर जांच के दौरान पूरा प्रकरण सामने आया है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि छत्‍तीसगढ़ में कितने फर्जी आयुर्वेदिक डाक्टर पहले से ही पंजीकृत हैं और मरीजों के जीवन से खेल रहे हैं।

दस्तावेजों की जांच के दौरान 22 संदेहास्पद डिग्रियां संबंधित विश्वविद्यालयों को भेजी गई थीं। राज्यों के शासकीय कालेजों व चिकित्सा विश्वविद्यालयों की ओर से डिग्रियों के फर्जी होने की पुष्टि के बाद जांच आगे बढ़ी तो राष्ट्रीय स्तर पर गिरोह की बात सामने आई है। आपराधिक कार्रवाई के लिए बोर्ड की तरफ से इस सभी दस्तावेज पुलिस को सौंपे जा चुके हैं। फर्जी डाक्टरों के नाम नईदुनिया के पास हैं परंतु प्रकाशित नहीं किए जा रहे हैं ताकि जांच प्रभावित नहीं हो।

युवाओं की आपबीती
केस-1
मुंगेली के एक युवक ने बताया कि तीन माह पूर्व उसे हरियाणा से अजय नामक एक व्यक्ति ने मोबाइल पर संपर्क किया। उसने पत्राचार से 10 लाख रुपये में बीएएमएस की पिछली तारीख की डिग्री दिलाने की बात कही। उसके झांसे में आकर उसने सात लाख रुपये दिए। डिग्री आई तो उसने पंजीयन के लिए राज्य आयुर्वेद बोर्ड भेजा। वहां जांच में डिग्री फर्जी निकली तब उसे पता चला।

केस-2
दुर्ग निवासी युवक ने बताया कि बीएएमएस की डिग्री के लिए दुर्ग के ही एजुकेशन काउंसर ने उससे संपर्क किया था। बिना परीक्षा दिलाए आयुर्वेद चिकित्सक की डिग्री दिलाने की बात कही। उसने इसके लिए पांच लाख रुपये दिए थे। डिग्री तो आ गई, लेकिन पंजीयन के दौरान जांच में उसके फर्जी होने का पता चला। इसके बाद राज्य आयुर्वेद बोर्ड ने उससे संपर्क कर फर्जीवाड़े की जानकारी दी।

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