कांकेर में बाल अधिकार और मनो-न्याय के विषय में कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद कुमार ध्रुव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशन में यह कार्यक्रम हुआ। कार्यशाला में कारा ऐप के माध्यम से बच्चों को कानूनी रूप से गोद लेने की प्रक्रिया की जानकारी दी गई। कार्यशाला में न्यायाधीश ध्रुव ने बच्चों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बच्चे ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना हैं और उनकी उपेक्षा समाज के लिए घातक हो सकती है। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन ने बालिका गृह की कार्यप्रणाली पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 18 साल से कम उम्र की उन बालिकाओं को, जिनके माता-पिता नहीं हैं या जिनके पालक उनका पालन-पोषण करने में असमर्थ हैं, बालिका गृह में आश्रय दिया जाता है। यहां उन्हें रहने, खाने-पीने और शिक्षा की सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश लीना अग्रवाल, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश भूपेंद्र कुमार वासनीकर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भास्कर मिश्र, द्वितीय सिविल जज अंबा शाह, सिविल जज सुनीति नेताम सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ता और पैरालीगल वालेंटियर्स उपस्थित थे।

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