विटामिन, आयरन और फाइबर युक्त केला तो फल के रूप में हम खाते ही हैं, लेकिन केले के पेड़ के अन्य भाग जैसे फूल, पत्ते, तने आदि भी भोजन पकाने और व्यंजन बनाने में उपयोग होते हैं। केले के पत्तों पर भोजन परोसा जाता है, साथ ही इसका इस्तेमाल भोजन पकाने में भी होता है। दक्षिण भारत में केले के पेड़ के तने का इस्तेमाल भी भोजन में किया जाता है।
कच्चा केला: कच्चे केले को कागज़ में लपेटकर रखने पर ये पक जाते हैं और पेड़ में पके हुए केले से कहीं ज़्यादा स्वादिष्ट होते हैं। ये प्राकृतिक रूप से पकते हैं इसलिए हानिकारक भी नहीं होते। कच्चे कले को कद्दूकस करके कोफ्ते भी बनाए जाते हैं।
केले के पत्ते: दक्षिण भारत में केले के पत्ते पर भोजन परोसा जाता है। वहीं बंगाली और दक्षिण भारत के लोग इसमें खाना लपेटकर पकाते हैं। इसके लिए पहले केले के पत्तों को धोकर पोछते हैं। टुकड़ों में काटकर आंच पर घुमाते हैं ताकि ये मुलायम हो जाएं। इसके बाद सीधे हिस्से पर तेल या घी लगाकर चिकना करते हैं। फिर इन पर मसाले में लिपटी हुई मछली या चावल या मक्के का आटा, इडली, इडियप्पम रखकर या लपेटकर भाप में पकाते हैं। वहीं दो पत्तों के बीच में पानकी का मिश्रण रखकर तवे पर पकाते हैं।
केले का फूल: केले का फूल जितना सुंदर दिखता है, उसकी सब्ज़ी उतनी ही लज़ीज़ बनती है। इस फूल में से एक कड़े धागे जैसा भाग निकाल कर प्रत्येक भाग खाया जाता है। हालांकि इसके फूल का स्वाद थोड़ा कड़वा और स्टार्च युक्त होता है, लेकिन नींबू के रस में भिगोने के बाद स्वाद ठीक हो जाता है। इस फूल की मसालेदार सब्ज़ी के अलावा सलाद, कटलेट, पकौड़े और सूप भी बनता है।