बिलासपुर रेलवे स्टेशन से ठीक पहले तारबाहर-सिरगिट्टी रेलवे फाटक के पास सोमवार दोपहर बड़ा हादसा होने से टल गया। एक ट्रेन का इंजन बिना ड्राइवर स्टार्ट होकर बिलासपुर स्टेशन की ओर लोको शेड से सिरगिट्टी की ओर निकल गया। कुछ दूरी तक पटरी पर दौड़ने के बाद इंजन खंभों और सिग्नल को तोड़ता हुआ सड़क पर उतर गया। इंजन करीब 100 मीटर तक सड़क पर घिसटता रहा। जिस जगह हादसा हुआ, वह शहर का व्यस्ततम इलाका है। गनीमत रही कि इंजन की चपेट में कोई नहीं आया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जब उन्होंने इंजन को पास से देखा तो उसमें कोई ड्राइवर नहीं था। अधिकारियों की पूछताछ में लोको शेड के किसी सफाई कर्मचारी से इंजन स्टार्ट होने और उसके चालू होने की बात सामने आई है।

हादसे की आंखोंदेखी

हादसा स्थल के करीब सुरेंद्र स्वर्णकार की दुकान है। सुरेंद्र कहते हैं कि वे अपने काम में लगे हुए थे कि दोपहर 3 बजे अचानक जैसे बिजली कड़कने की आवाज आती है, वैसा ही तेज विस्फोट जैसा हुआ। हम लोगों को कुछ समझ नहीं आया। रेल लाइन किनारे देखा तो एक इंजन पटरी छोड़कर साइड में लगे तीन-चार खंभों को तोड़ता हुआ सड़क पर घिसटता दिखा। यहां जितने लोग भी थे बहुत डर गए। हम लोग सड़क की दूसरी तरफ थे, इसलिए बच गए। जहां इंजन पहुंचा वहां सड़क किनारे एक बाइक खड़ी थी। वह उसकी चपेट में आ गई। करीब 100 मीटर घिसटने के बाद इंजन रुक गया। हम लोग एकदम से इंजन के पास नहीं गए। 3-4 मिनट बाद हिम्मत कर पास गए। इंजन के अंदर देखा तो रेल लाइन तरफ वाला उसका दरवाजा खुला था और अंदर कोई नहीं था। ड्राइवर या तो भाग गया था या ड्राइवर था ही नहीं। मौके पर मौजूद दूसरे लोग बताते हैं कि यह सड़क बहुत भीड़ वाली रहती है। सुबह-शाम यहां अच्छा खासा ट्रैफिक रहता है। दोपहर होने के कारण अभी भीड़ कम थी और इसलिए कोई चपेट में नहीं आया, नहीं तो बड़ा हादसा होता।

बिना पायलट करीब 1.5 किलोमीटर दौड़ा इंजन

यह हादसा कैसे हुआ इसे बताने के लिए कोई भी अधिकारी तैयार नहीं है। उनका कहना है कि अभी यह ही तय नहीं हो पा रहा है कि इंजन लोको शेड से किसी पायलट ने निकाला या फिर गलती से किसी से स्टार्ट होकर छूट गया। एक अधिकारी कहते हैं कि बहुत आशंका है कि इंजन किसी की लापरवाही से स्टार्ट ही रह गया और ब्रेक भी नहीं लगे होने के कारण पटरी पर चलने लगा। एक समय के बाद इंजन को कंट्रोल की जरूरत रहती है। जब उसे कंट्रोल नहीं मिला तो वह पटरी छोड़ सड़क पर उतर गया। यदि इस अधिकारी की बात सच है तो इंजन जिस सिरगिट्टी की तरफ के फाटक के पास उतरा वहां से शेड, जहां इंजन खड़े किए जाते हैं, की दूरी करीब 1.5 किलोमीटर है। मतलब इंजन बिना ड्राइवर 1 किलोमीटर तक चलता रहा। हालांकि, जांच इस बात की भी की जा रही है कि क्या इंजन में कोई पायलट था और वह हादसा होने के बाद भाग गया, क्योंकि दरवाजा खुला था।

एक लाइन बंद

जिस लाइन से इंजन उतरा उसके ठीक पीछे उसी लाइन पर एक मालगाड़ी आ रही थी। मालगाड़ी के ड्राइवर ने सामने कुछ गड़बड़ देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाए और वह ठीक पीछे खड़ी हो गई। इस हादसे के बाद हावड़ा रूट की एक लाइन बंद हो गई है। रेलवे के अधिकारी-कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं और उन्होंने इंजन को हटाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक देर रात तक लाइन क्लियर कर ली जाएगी, लेकिन सिग्नल, बिजली के खंभे जो इस इंजन ने तोड़े हैं उन्हें बनने मे वक्त लगेगा।

10 साल पहले यहीं ट्रेन से कट गए थे 12 लोग

सिरगिट्टी-तारबाहर फाटक पर, जहां यह हादसा हुआ है, वहीं अक्टूबर 2011 में धनतेरस की शाम एक भयानक हादसा हुआ था। तब यहां अंडरब्रिज नहीं बना था और लोग रेल की पटरियां पारकर ही आना-जाना करते थे। धनतेरस के दिन इन पटरियों को पार कर लोग सिरगिट्टी जा रहे थे, कि शाम 7 बजे के करीब तेज रफ्तार रायपुर लोकल ने करीब 30 लोगों को रौंद दिया था। इसके बाद यहां अंडरब्रिज बनाया गया। इस दुर्घटना में 12 लोगों की मौत हुई थी और बाकी घायल हुए थे।

रेलवे CPRO साकेत रंजन का कहना है कि तारबहार रेलवे लोकोशेड में एक इंजन डिरेल हुआ है। मामले में जांच जारी है। फिलहाल घटना के संबंध में कोई ज्यादा जानकारी सामने नहीं आ सकी है। घटना बेहद गंभीर है और इसकी उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए जा रहे हैं। वहीं, डिविजनल कमर्शियल मैनेजर विपुल विलासराव ने मामले को लेकर उच्च स्तरीय जांच की बात कही है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसी की लापरवाही जांच के बाद सामने आती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

क्या हुआ होगा? इंजन कैसे अपने आप चलकर चला गया।

जब भी कोई इंजन मेंटेनेंस या रिपेयर के लिए लोको शेड जाता है तो उसके पहियों पर लकड़ी का गुटका लगाया जाता है, ताकि किसी भी स्थिति में वह अपनी जगह से न हिल सके। चलने की बात तो दूर है। यहां यह लापरवाही हुई है। इंजन चल पड़ा, यानी पहियों पर लकड़ी का गुटका नहीं लगा था।

क्या इंजन के चालू होने की स्थिति में वह अपने आप चल सकता है?

बिल्कुल नहीं। कोई साधारण व्यक्ति जो जानकार नहीं है वह इंजन के स्टार्ट होने के बाद भी उसे आगे नहीं बढ़ा सकता है। इंजन को चालू करने और आगे या पीछे करने के लिए अलग-अलग चाबियों का इस्तेमाल होता है। हो सकता है शंटर ने इंजन स्टार्ट करके छोड़ दिया हो।

क्या हैंड ब्रेक रिलीज होने से इंजन चल सकता है?

हां। हैंड ब्रेक में मात्र एक लीवर होता है वह किसी के धक्का देने से नीचे या ऊपर हो सकता है। ब्रेक रिलीज होने से ऐसा होना संभव है, लेकिन जहां पर इंजन मरम्मत के लिए होता है वहां पर उसके पहियों को जाम करके रखा जाता है, ताकि काम के दौरान किसी तरह का हादसा न हो जाए।

क्या इंजन के अंदर सफाई कर्मचारी से सफाई कराने की आवश्यकता पड़ती है?

नहीं। इंजन के अंदर सिर्फ जानकार को ही प्रवेश करने की अनुमति होती है। वहां पर सफाई कर्मचारी का कोई काम ही नहीं है। इंजन के अंदर तो सभी तरफ इलेक्ट्रॉनिक्स, बटन, लीवर और अन्य तकनीकी चीजें होती है। जो उनका जानकार है वही उसकी सफाई भी करता है। अगर किसी सफाई कर्मचारी को वहां सफाई करने भेजा गया था तो एक जानकार को वहां पर मौजूद रहना था।

इंजन के मेंटेनेंस या जांच के दौरान किसकी जिम्मेदारी होती है?

इंजन की जांच या मेंटेनेंस कार्य के दौरान लोको शेड के इंचार्ज या चीफ टेक्नीशियन व सुपरवाइजर का वहां पर होना जरूरी है, ताकि किसी तरह की कोई लापरवाही न हो। सफाई के दौरान भी कुछ बटन के दबने या फिर गड़बड़ी होने की संभवना रहती है।

इंजन में किसी गड़बड़ी से ऐसा हो सकता है क्या?

अगर इंजन में कोई गड़बड़ी होती तो वह चलता ही नहीं। इंजन रफ्तार से चलकर गया है, यानी यह पूर्ण से लापरवाही का ही मामला है।

कैसे चल पड़ा इंजन कोई नहीं जानता

जानकारी जो छिपाई जा रही: दो सफाई कर्मचारी इंजन के अंदर काम कर रहे थे। इसमें एक महिला सफाई कर्मचारी थी। वह नीचे उतरी उसके बाद शंटर भी नीचे उतर गया। उसके उतरने के बाद इंजन चलने लगा तो सफाई कर्मचारी जिसका नाम संजय बताया जा रहा है वह इंजन के अंदर ही बैठा रह गया। इंजन रुकने पर वह नीचे उतरकर भाग गया।

 

 

 

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