ED के मुताबिक, जांच में खुलासा हुआ है कि नई आबकारी नीति से लाभ उठाने के लिए के.कविता ने आप पार्टी के नेताओं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर साजिश रची थी.
नई दिल्ली:
आबकारी नीति मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. ED की जांच में आरोपी के. कविता के साथ केजरीवाल का नाम भी जुड़ा है. के कविता की गिरफ्तारी को लेकर ED के स्टेटमेंट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी परेशानी बढ़ सकती है. ED के मुताबिक, जांच में खुलासा हुआ है कि नई आबकारी नीति से लाभ उठाने के लिए के.कविता ने आप पार्टी के नेताओं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर साजिश रची थी.
नई आबकारी नीति से निजी लाभ पाने की एवज में आप पार्टी नेताओं तक 100 करोड़ रुपये पहुचाये गए. साजिश के तहत नई शराब नीति में होलसेलर्स के जरिये लगातार रिश्वत का पैसा आप पार्टी तक पहुंचाया जाता रहा. साजिश के तहत साउथ लॉबी द्वारा एडवांस में दी गयी करोड़ों रुपये की रिश्वत को शराब पर प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाकर वसूलना और इस नीति से दोगुना मुनाफा कमाना था.
क्या है दिल्ली शराब नीति मामला?
दिल्ली सरकार नवंबर 2021 में राजधानी के शराब विक्रेताओं के लिए एक नई नीति लेकर आई थी. नई नीति के तहत सरकारी दुकानों की बजाय शराब के स्टोर बेचने के लिए प्राइवेट पार्टियों को लाइसेंस के लिए आवेदन करने की परमिशन दी गई थी. दिल्ली सरकार का कहना था कि नई नीति लाने से शराब की कालाबाजारी रुकेगी, दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ेगा और ग्राहकों को फायदा होगा. केजरीवाल सरकार की नई नीति में शराब की दुकानों को आधी रात के बाद भी खुले रहने की परमिशन दी गई थी. शराब विक्रेताओं को बिना किसी लिमिट के डिस्काउंट देने की भी परमिशन दी गई थी. नई नीति आने के बाद कई निजी शराब दुकानों की बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई और दिल्ली सरकार ने कलेक्शन में 27 प्रतिशत की वृद्धि का दावा किया था.
जांच एजेंसी ने कई नेताओं को किया है गिरफ्तार
दिल्ली सरकार की यह नीति जल्द ही मुश्किल में पड़ गई. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामले में गड़बड़ी का अंदेशा जताया. जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर मनीष सिसोदिया पर नियमों को तोड़ने-मरोड़ने और शराब के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ प्रदान करने का आरोप लगाते हुए, राज्यपाल ने सीबीआई जांच के आदेश दिए. जिसके बाद से एक जांच एजेंसी की तरफ से एक के बाद एक राजनेताओं की गिरफ्तारी हुई है.