छत्तीसगढ़ में सुशासन लाने के लिए सरकार सबसे बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब बच्चे का जन्म से ई-रिकॉर्ड तैयार होना शुरू हो जाएगा। जैसे-जैसे वह बड़ा होगा उसके दस्तावेज बनेंगे वह सब इस रिकॉर्ड में तैयार होते जाएंगे। इसके बाद वह सरकार की जिस योजना का पात्र होगा, उसके लिए उसे किसी कार्यालय नहीं जाना होगा। सरकार खुद उनके घर जाएगी और बताएगी कि आप इस योजना के पात्र है आपको यह लाभ मिलेगा। ई-रिकॉर्ड में जितने भी सर्टिफिकेट होंगे वह आधार से लिंक करने की योजना है। इसके साथ ही सरकारी अमले को भी जांच और सत्यापन जैसे कामों से मुक्ति मिल जाएगी। इसे इंटीग्रेटेड प्रो एक्टिव ई गर्वेनेंस नाम दिया गया है। इसे बनाने की जिम्मेदारी चिप्स को दी गई है। साफ्टवेयर पर काम शुरू हो चुका है। अगले डेढ़ साल में यह क्रियान्वयन स्तर पर आ जाएगा। इसके आने के बाद भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगा। 25 प्रकार के प्रमाण पत्र होंगे ई-लॉकर में एक व्यक्ति अपनी जिंदगी में 25 प्रकार के प्रमाण पत्र बनाता है। इस साफ्टवेयर के तैयार होने पर यह सभी प्रमाण पत्र ई-लॉकर में होंगे। उदाहरण के तौर पर बच्चे के जन्म होते ही उसका नाम, आयु, माता-पिता का नाम इसमें दर्ज हो जाएगा। उसके पिता की जाति से उसकी जाति भी दर्ज हो जाएगी। इसके बाद वह बड़े होने पर स्कूल में एडमिशन लेने जाएगा तो उसके अंगूठा लगाते ही उसका यह डाटा ऑटो फिल हो जाएगा। 10वीं-12वीं करने के बाद उसका सर्टिफिकेट इस रिकॉर्ड में जाएगा। अगर वह किसी प्रतियोगी परीक्षा का फार्म भरेगा तो उसे कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। सिर्फ वह अपना अंगूठा लगाएगा और सारे रिकॉर्ड आटोमेटिक फिल हो जाएंगे। पात्रता खुद खोज लेगी सरकार
इस साफ्टवेयर का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि जो व्यक्ति जिस योजना के लिए पात्र होगा, उसे लाभ लेने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। सरकार उसे खुद खोज लेगी। उदाहरण के तौर महतारी वंदन योजना के लिए जो महिलाएं क्राइटेरिया में होगी उसे साफ्टवेयर एक कमांड से डाटाबेस में से अलग कर बता देगा। इसके बाद सरकार उन महिलाओं का सिर्फ अंगूठा लेगी और उसकी राशि सीधे खाते में चली जाएगी। अब इस योजना में आगे क्या…
साफ्टवेयर बनने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। जिनके सर्टिफिकेट बन चुके हैं उन्हें स्कैन कर अपडेट किया जाएगा। जो नए सर्टिफिकेट बनेंगे वह अपलोड होते जाएंगे। यानी एक बार के बाद उस सर्टिफिकेट के लिए दोबारा नहीं आना होगा। जाति जैसे प्रमाण पत्र पिता से बच्चे का आटोमैटिक बन जाएगा। जिन बच्चों को समय से टीका नहीं लग पा रहा है, वे आइडेंफाई किए जा सकेंगे। सरकार उन्हें खोजकर उनका मौलिक अधिकार देगी। इससे काम आसान होगा इंटीग्रेटेड प्रो एक्टिव ई गर्वेनेंस के लिए साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इसके बाद लोगों को योजनाओं के लिए कार्यालय नहीं जाना होगा, उन्हें घर बैठे उसका लाभ मिलेगा। -प्रभात मलिक, सीईओ, चिप्स