कई बार आपको डरावने सपने दिखने लगते हैं और असामान्य शारीरिक अनुभव होता है. इस दौरान ज्यादातर लोग अपनी छाती पर दबाव महसूस करते हैं. जानें क्या है इसकी वजह.
नई दिल्ली: कई बार जब आप नींद से जगते हैं, तो आपको दिक्कत महसूस होती है. हाथों और पैरों की मूवमेंट नहीं होती और ऐसा लगता है कि पैर और हाथ काम नहीं कर रहे. कई लोगों को ये डरावना अनुभव भी होता है कि कोई चीज आपके हाथों और पैरों को रोक रही है. ये सब आप सपने में नहीं, खुली आंखों से महसूस कर रहे होते हैं.

क्या है स्लीप पैरालिसिस?
शरीर की इस अवस्था को स्लीप पैरालिसिस कहते हैं. इसमें व्यक्ति दिमागी तौर पर जगा होता है, लेकिन असल में उसका शरीर सो रहा होता है. आप किसी भी आवाज से डर जाते हैं और कई बार ऐसा महसूस होता है कि आपका दम घुट रहा है. कुछ लोगों को स्लीप पैरालिसिस के दौरान लगता है कि जैसे उनका शरीर हवा में उड़ रहा हो.

खराब स्लीपिंग पैटर्न वजह
‘द जर्नल’ के मुताबिक, इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और इससे जुड़ी 35 स्टडीज साल 2011 में पब्लिश हो चुकी हैं. 36000 वॉलेंटियर्स पर की गई इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि स्लीप पैरालिसिस सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स या ऐसे लोगों में पाया जाता है जिनका स्लीपिंग पैटर्न खराब है. इसके अलावा तनाव, डिप्रेशन जैसे मेंटल डिसऑर्डर वाले लोगों में भी स्लीप पैरालिसिस के लक्षण देखे गए.

सपने लगने लगते हैं वास्तविक
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सोने की प्रक्रिया में हम तीन या चार नॉन आरईएम और एक रैपिड आई मूवमेंट के चरण से गुजरते हैं. सपना इनमें से किसी भी स्टेज में आ सकता है. रैपिड आई मूवमेंट ऐसी स्टेज हैं, जहां सपने बिल्कुल वास्तविक लगने लगते हैं.

स्लीप पैरालिसिस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले शोधकर्ता डैनियल डेनिस के मुताबिक, इस दौरान दिमाग एक्टिव स्टेज में रहता है और आरईएम में लोग खुद को सपने से बाहर लाने के दौरान स्वाभाविक रूप से लकवाग्रस्त हो जाते हैं. इसे आरईएम एटोनिया भी कहा जाता है. ये अवस्था कुछ सेकंड से लेकर एक मिनट तक रहती है.

कुछ मामलों में ये 10 से 15 मिनट तक भी रह सकता है. शरीर की तंत्रिकाएं मस्तिष्क को हिलने का संकेत देती हैं. ऐसा न हो पाने की स्थिति में मस्तिष्क भ्रम की स्थिति में चला जाता है.
डर की वजह से सांस नहीं ले पाते
एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्लीप पैरालिसिस में आपको डरावने सपने दिखने लगते हैं और असामान्य शारीरिक अनुभव होता है. इस दौरान ज्यादातर लोग अपनी छाती पर दबाव महसूस करते हैं. उन्हें लगता है कि वो सांस नहीं ले पा रहे. डर की वजह से ऐसा होता है.

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