नौकरी से हटाए गए B.Ed सहायक शिक्षकों ने सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग के दफ्तर पहुंचकर प्रदर्शन किया। यहां उन्होंने निर्वाचन आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपकर पूरे परिवार के साथ मतदान बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। बर्खास्त शिक्षकों का कहना है कि नौकरी से निकाले जाने के बाद शिक्षकों और उनके परिवार पर रोजी-रोटी का संकट है। पिछले 17 दिनों से तूता धरना स्थल में आंदोलन चल रहा है लेकिन उनकी मांगों को लेकर कोई फैसला हीं लिया गया है। ऐसे में सभी 2900 सहायक शिक्षक सपरिवार के साथ अपने मताधिकार का त्याग करना चाहते हैं। इसलिए मतदाता परिचय पत्र रद्द किया जाएगा। इन शिक्षकों को नए साल की शुरुआत में ही टर्मिनेशन लेटर थमा दिया गया था। हांलाकि मामले में सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रशासनिक कमेटी भी बनाई है। जिसमें मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में 5 अधिकारी शामिल हैं। लेकिन सहायक शिक्षकों का कहना है कि कमेटी कब तक उनकी मांगों पर फैसला देगी। ये स्पष्ट नहीं किया गया है इसलिए मांगे पूरी होते तक आंदोलन जारी रहेगा। सामूहिक अनशन पर बैठे सहायक शिक्षक सेवा सुरक्षा और समायोजन की मांग को लेकर अब सहायक शिक्षक सामूहिक अनशन पर हैं। उनका कहना है कि आंदोलन मांगे पूरी नहीं होने तक जारी रहेगा। नया रायपुर के धरना स्थल पर 14 दिसंबर से B.Ed सहायक शिक्षकों का आंदोलन चल रहा है। अनुनय यात्रा के बाद 19 दिसंबर से शिक्षक तूता स्थित धरना स्थल में बैठे हैं। सहायक शिक्षकों के आंदोलन में सामूहिक अनशन के तीसरे दिन 3 शिक्षिकाओं की तबीयत बिगड़ गई। B.Ed मामले में जानिए अब तक क्या हुआ बीएड सहायक शिक्षकों ने 14 दिसंबर को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू की गई थी। रायपुर पहुंचने के बाद 19 दिसंबर से यात्रा धरने में बदल गई। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए पत्र भी भेजे। धरना स्थल पर लगाया ब्लड डोनेशन कैंप धरना प्रदर्शन शुरू होने के बाद, शिक्षकों ने 22 दिसंबर को धरना स्थल में ही ब्लड डोनेशन कैंप लगाया। इस शिविर में शिक्षकों ने रक्तदान कर सरकार तक यह संदेश पहुंचाया कि वे समाज और देश की भलाई के लिए समर्पित हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शिक्षकों ने कराया सामूहिक मुंडन 26 दिसंबर- आंदोलन में बैठे सहायक शिक्षकों ने अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए सामूहिक मुंडन कराया। पुरुषों के साथ महिला टीचर्स ने भी अपने बाल कटवाए। कहा, ये केवल बालों का त्याग नहीं बल्कि उनके भविष्य की पीड़ा और न्याय की आवाज है। 28 दिसंबर- आंदोलन पर बैठे शिक्षकों ने मुंडन के बाद यज्ञ और हवन करके प्रदर्शन किया। कहा कि,यदि हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो आगे सांकेतिक सामूहिक जल समाधि लेने को मजबूर होंगे। 29 दिसंबर- आदिवासी महिला शिक्षिकाओं ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2 घंटे तक बंगले के सामने मुलाकात के लिए डटे रहे। 30 दिसंबर -पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर जल सत्याग्रह किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर अटल हैं। सरकार तक ये संदेश देना चाहते हैं कि सुशासन में हमारी नौकरी भी बचा ली जाए और समायोजन किया जाए। 1 जनवरी – सभी प्रदर्शनकारियों ने मिलकर माना स्थित बीजेपी कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का घेराव कर दिया। यहां की प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 2 जनवरी – पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया। 3 जनवरी – सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रशासनिक कमेटी बना दी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में 5 अधिकारी शामिल हैं। 3 जनवरी – मांगे पूरी नहीं होने से नाराज सहायक शिक्षकों ने सामूहिक अनशन शुरू किया। 6 जनवरी – राज्य निर्वाचन आयोग जाकर मतदान बहिष्कार के लिए आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

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