डायबिटीज मरीजों के लिए राहत की बात है। अब रोज इंसुलिन से छुटकारा मिल जाएगा। एक बार इंसुलिन लगाने बाद हफ्तेभर की फुर्सत हो जाएगी।
डायबिटीज मरीजों के लिए राहतभरी खबर है। उन्हें अब रोज इंसुलिन लगाने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। अब एक बार लगने वाली इंसुलिन से हफ्तेभर की फुरसत हो जाएगी। अमेरिका में बेसल इंसुलिन के नए सॉल्ट का प्रयोग सफल हो गया है, इसी साल भारत में यह बाजार में आ जाएगी। कानपुर डायबिटीज एसोसिएशन के पैटर्न डॉ. ब्रिजमोहन ने हिन्दुस्तान से बातचीत में इसे साझा किया।
डॉ. मोहन रविवार को एसोसिएशन की ग्लोबल कांफ्रेंस में शिरकत कर लौटे हैं। उन्होंने बताया कि कांफ्रेंस में शुगर रोगियों के लिए नए-नए शोधों को दुनियाभर के डॉक्टरों ने कांफ्रेंस पटल पर रखा। इंसुलिन पर लंबे चले वैज्ञानिक सत्रों में सामने आया कि अब डायबिटीज रोगियों को तनाव लेने की जरूरत नहीं है। आने वाले चंद सालों में तरह-तरह की इंसुलिन आने वाली हैं। डॉ. मोहन के मुताबिक डायबिटीज रोगियों को हर दिन एक बार बेसल इंसुलिन लगाना पड़ता है लेकिन नई बेसल इंसुलिन भारतीय बाजार में आने जा रही है, जिससे सात दिन की राहत मिलेगी।
स्मार्ट इंसुलिन भी आएगी
डॉ. मोहन के मुताबिक कांफ्रेंस में स्मार्ट इंसुलिन का शोध पत्र भी सामने रखा गया, जिसके अनुसार एक पैच पेट में लग जाएगा और जब आप खाना खाएंगे तो पैच में लगे महीन कांटों के सहारे इंसुलिन रिलीज हो जाएगी। जब तक आप खाएंगे नहीं, इंसुलिन रिलीज नहीं होगी। यह सबकुछ ऑटोमेटिक मोड में होगा। उन्होंने बताया कि ओरल इंसुलिन पर भी दुनिया में अमेरिका, कनाडा के साथ यूरोप के कई देशों में शोध हो रहे हैं लेकिन वर्ष 2024 के बाद के बाद ही कोई रिजल्ट सामने आएगा।
मौजूदा समय में इंसुलिन लेने के दो तरीके हैं। पहला बोलस और दूसरा बेसल। बोलस से खुराक लेने पर तुरंत राहत मिलती है, इसे खाने के पहले लिया जाता है जबकि बेसल से खुराक लेने पर लंबे समय पर ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य रहता है। इसके तहत ग्लूकोज लेवल सुबह से रात तक नियंत्रित रहता है। बेसल इंसुलिन का काम ब्लड ग्लूकोज लेवल को मेंटेन रखना है, खासतौर पर व्रत और सोने के दौरान। जब भी कोई व्यक्ति व्रत करता है तो उस दौरान लिवर ग्लूकोज निकालता है, जो हमारी रक्त कोशिकाओं से होते हुए शरीर में जाता है। बेसल इंसुलिन इसी ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल में रखने का काम करता है।
बेसल इंसुलिन के फायदे
24 घंटे में शरीर में मौजूद पैंक्रियाज इंसुलिन की नियमित मात्रा तैयार करता है। बेसल इंसुलिन इसी की नकल कर शरीर में उतनी ही इंसुलिन की मात्रा का प्रवाह करता है जितना उसे जरूरी होता है।