अनियमित खान-पान और रहन-सहन के चलते उच्च रक्तचाप की बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। यह एक गम्भीर और असाधारण बीमारी है, जिसे अनदेखा करने के फलस्वरूप काफी भयानक परिणाम सामने आते हैं। इसे ‘साइलेंट किलर‘ भी कहा जाता है। एक सर्वे के अनुसार भारत में 30 वर्ष से अधिक आयु वाला हर आठवां व्यक्ति रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) से ग्रस्त है। इसे दृष्टिगत करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एण्ड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कॉर्डियोवैस्कुलर डिसीजेस एण्ड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) कार्यक्रम के तहत इंडियन हाइपरटेंशन कंट्रोल इनिशिएटिव (आइएचसीआई) योजना संचालित की जा रही है। इसके तहत उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीजों का बी.पी. पासपोर्ट बनाकर उनका नियमित ब्लड प्रेशर का परीक्षण, दवा सेवन तथा आवश्यक जानकारियां दी जाती हैं। साथ ही यह भी बताया जाता है कि इसे हल्के में लेने या असावधानीपूर्वक दवाओं का सेवन बंद करने के दुष्परिणाम से भी अवगत कराया जाता है। वर्ष 2025 तक उच्च रक्तचाप से होने वाली मौतों पर 25 फीसदी तक कमी करना इस योजना का उद्देश्य है। साथ ही हाई बीपी के मरीजों को 25 फीसदी तक कंट्रोल करने का भी लक्ष्य है।
स्वास्थ्य संचालनालय रायपुर से आए वरिष्ठ चिकित्सकों राज्य कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुमी जैन, डब्ल्यूएचओ के राज्य कार्डियो वैस्कुलर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. उर्विन शाह ने मौजूद मरीजों को बताया कि ब्लड प्रेशर की दवाइयां नियमित खानी है तथा डॉक्टर की सलाह के बिना दवा का सेवन बंद नहीं करना है। इसके अलावा बीपी की नियमित जांच जरूर करानी चाहिए। यदि उच्च रक्तचाप को नियंत्रित नहीं किया गया, तो हाई बीपी की वजह से दिल का दौरा अथवा स्ट्रोक के कारण पैरालिसिस हो सकती है। इस दौरान बताया कि भारत में प्रति आठ व्यक्ति में से एक को हाइपरटेंशन (हाई बीपी) है। ताज्जुब की बात यह है कि इनमें सें मात्र आधे लोगों को ही पता होता है कि उन्हें हाई बीपी है। 45 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में हाई बी.पी. से पीड़ित मरीजों की संख्या और अधिक होती है। विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया गया कि उच्च रक्तचाप हमारे शरीर में मौजूद रक्त नसों व धमनियों में लगातार संचरण करता है। रक्त प्रवाह की वजह से नसों पर पड़ने वाला दबाव ब्लड प्रेशर या रक्तचाप कहलाता है। इसका घटना-बढ़ना हृदय की गति और नसों तथा धमनियों अवरोधों पर निर्भर करता है। दिल-दिमाग में रक्त के बहाव को अनियंत्रित करने वाली यह बीमारी कई बार जानलेवा साबित होती है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. डी.के. तुरे ने बताया कि आईएचसीआई योजना का जिले में शुभारम्भ सोमवार 06 सितम्बर को किया गया, जहां जिला चिकित्सालय के एनसीडी क्लीनिक में मरीजों को बी.पी. पासपोर्ट कार्ड देकर किया गया। उन्होंने बताया कि धमतरी जिले मंे वयस्कों की 17 फीसदी आबादी उच्च रक्तचाप की बीमारी से पीड़ित है। उच्च रक्तचाप पीड़ितों के लिए कोरोना ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। डब्ल्यूएचओ एवं आईसीएमआर के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से मरे लोगों में एक-तिहाई हाइपरटेंशन से पीड़ित थे। उच्च रक्तचाप के मरीजों में संक्रमण का खतरा उन लोगों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक होता है। यह भी बताया गया कि आईएचसीआई योजना जिले के सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर शुरूआत की जानी है। इसके लिए उच्च रक्तचाप के मरीजों को बीपी पासपोर्ट कार्ड दिया जाएगा, जिससे फॉलोअप के दौरान उनका बी.पी. कंट्रोल में है अथवा नहीं, इसका पता किया जा सकेगा।