राजनांदगांव जिले की पुलिस भर्ती में हुए फर्जीवाड़े और इसके बाद आरक्षक अनिल रत्नाकर के सुसाइड के मामले को लेकर रायपुर में पुलिस परिवार के निलंबित आरक्षक संजीव मिश्रा ने तख्ती लेकर प्रदर्शन किया। राजधानी के अंबेडकर चौक पहुंचे संजीव मिश्रा ने पूरी भर्ती प्रक्रिया और आरक्षकों पर हो रही कार्रवाई को लेकर सवाल खड़ा किया है। मिश्रा का कहना है कि किसी आरक्षक की इतनी हिम्मत नहीं होती कि वो मैदान में जाकर किसी कंपनी से भर्ती को लेकर इतनी बड़ी सेटिंग कर सके। जबकि उसी जगह टेंट में पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी भी मौजूद होते हैं। सिपाहियों पर आरोप लगाकर भेजा गया जेल मिश्रा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाकर ही बनी थी। जिसमें पुलिस परिवार ने उनका साथ दिया था। आज जब राजनांदगांव में पुलिस भर्ती में भ्रष्टाचार की घटना हुई, तब केवल सिपाहियों पर आरोप लगाकर उनको जेल भेज दिया जा रहा है। सिपाही अनिल रत्नाकर, जिसने आत्महत्या की और अपनी हथेली पर ही लिख कर ये खुलासा किया है कि मामले में पुलिस के बड़े अधिकारी शामिल है फिर भी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। इसलिए पुलिस परिवार की तरफ से मैं मैदान में हूं। पैसे देने वाले अभ्यर्थियों पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई निलंबित आरक्षक ने कहा कि भ्रष्टाचार में भर्ती के लिए पैसे देने वाले भी अपराधी हैं। उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन किसी भी अभ्यर्थी से अब तक सवाल नहीं किया गया। क्योंकि इससे बड़े अधिकारियों के नामों का खुलासा हो सकता है।