छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए रणनीति में बड़े स्तर पर बदलाव की जा रही है। यह बदलाव जनवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली की बैठक में मंजूर हो जाएगी। नए प्लान के अनुसार 2025 दिसंबर तक फोर्स अबूझमाड़ को पूरी तरह घेर लेगी, क्योंकि नक्सली सुकमा-बीजापुर माड़ में शिफ्ट हो रहे हैं। वहीं, पैरामिलिट्री फोर्स के डीजी और एडीजी रैंक के अधिकारी जंगल में कैंप करेंगे और 2 से 3 रातें जवानों के साथ रहेंगे। उनके निर्देशन में ही ऑपरेशन प्लान किया जाएगा। स्थानीय पुलिस और केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को हर 15 दिनों में बस्तर का दौरा करने का निर्देश दिया गया है। 12 माह में 35 से ज्यादा कैंप खोलने की तैयारी दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जाने के 7 दिनों के भीतर ही अबूझमाड़ के कच्चापाल, बीजापुर के वाटबांगू और सुकमा के गोमागुड़ा में कैंप खोले गए हैं। तीनों ही नक्सलियों का कोर एरिया है। आने वाले 12 माह में 35 से ज्यादा कैंप खोलने की तैयारी है। इसके लिए 2 नई बटालियन मांगी गई है। सुकमा, बीजापुर बॉर्डर से लेकर माड़ में नक्सलियों की एंट्री को बंद किया जा सके। वैसे भी बीजापुर, सुकमा में लगातार ऑपरेशन की वजह से नक्सली अबूझमाड़ में सिमट रहे हैं। छत्तीसगढ़ दौरे पर 16 दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रायपुर में नक्सल ऑपरेशन को लेकर बैठक ली थी। इसमें मार्च 2026 तक नक्सलियों की पूरी तरह खात्मे का टारगेट है। माइक्रो लेवल पर मॉनिटरिंग जरूरी रिटायर्ड डीजी आरके विज ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन के साथ माइक्रो लेवल पर मॉनिटरिंग जरूरी है। इसलिए प्लानिंग के स्तर पर बदलाव किया जा रहा है। नक्सलियों की सबसे छोटी इकाई एरिया कमेटी है। यही ज्यादा एक्टिव है। इसके मूवमेंट, उनके लीडर और नीचे काम करने वाले कैडर की मॉनिटरिंग से नक्सलियों की आगे की कार्रवाई का पता चलता है। इससे बड़े ऑपरेशन में सफलता मिलती हैं। फोर्स लगातार ऑपरेशन प्लान कर रही वहीं मामले में बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि फोर्स लगातार ऑपरेशन प्लान कर रही है। इससे सफलता मिल रही है। हाल ही में 3 नए कैंप खोले हैं और आगे भी कई कैंप खोलेंगे। इससे नक्सली सिमटते जा रहे हैं। जनता को कैंप से जोड़ेंगे। जन सुविधा केंद्र में ग्रामीणों को सुविधाएं मिलेगी। DSP रखेंगे नक्सलियों पर नजर नक्सलियों को ट्रैक करने का नया सिस्टम बनाया जा रहा है। इसलिए डीएसपी रैंक के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। सबडिवीजन स्तर पर ऑपरेशन चलाया जाएगा। डीएसपी नक्सलियों की एरिया कमेटी से लेकर बटालियन तक पर नजर रखेंगे। इसके साथ ही नक्सलियों के मददगारों की पहचान करेंगे। …………………………… नक्सलियों से संबंधित और भी खबर पढ़ें… ग्रामीण बोले-गांव में हेलिकॉप्टर देखकर लगा कुछ बड़ा हुआ: एनकाउंटर से पहले नक्सलियों की हुई थी मीटिंग, वहां पहुंचा दैनिक भास्कर यहां गोलियों के चलने की आवाजें कई बार आती रहती हैं लेकिन उस दिन दोपहर 1 से 3 बजे तक ये लगातार सुनाई देती रही। गांव के पास हेलिकॉप्टर चक्कर लगा रहा था तब लगा की कुछ बड़ा हुआ है।’ अबूझमाड़ के घने जंगलों में बसे गांव गवाड़ी में रहने वाले कमलू मंडावी बताते हैं ये मुठभेड़ उनके लिए कुछ अलग थी क्योंकि पहली बार 1 हेलिकॉप्टर यहां घायल जवान को ले जाने के लिए उतर रहा था। थुलथुली ग्राम पंचायत का ये गांव छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे बड़े एनकाउंटर के बाद चर्चा में है। पढ़ें पूरी खबर…