दूसरी की तरह कोरोना महामारी की तीसरी लहर के गंभीर होने की संभावना नहीं है, लेकिन वायरस के नए वैरिएंट की आशंका से इनकार भी नहीं किया जा सकता। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय पीएमओ और स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में दी है।

नए स्वरूप से चुनौती बढ़ने की भी है ​आशंका
एक अध्ययन का हवाला देते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि संक्रमण की आगामी लहर पहले की तरह भीषण और आक्रामक नहीं हो सकती है, लेकिन यह नए वैरिएंट के आने से चुनौती जरूर बढ़ सकती है। ऐसे में अगर कोविड-19 अनदेखी हुई तो, स्थिति बिगड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

इतना ही नहीं रिपोर्ट में राजनीतिक अभियानों को लेकर भी कहा गया है कि भीड़ किसी भी सूरत में महामारी के लिए उचित नहीं है। हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने देश भर में जिला स्तर पर अभियान चलाए ने की घोषणा की थी।

वायरस में बदलाव ला सकता है गंभीर स्थिति
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव व संक्रामक रोग विभागाध्यक्ष डॉ समीरन पांडा की निगरानी में तैयार इस रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि अगर टीकाकरण का विस्तार किया जाए तो काफी हद तक महामारी पर नियंत्रण पाने में मदद मिल सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नई लहर को लेकर तैयारियों में किसी भी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। गणितीय मॉडल्स के आधार पर भले ही नई लहर को आक्रामक नहीं माना जा रहा है लेकिन वायरस में बदलाव काफी गंभीर स्थिति खड़ा कर सकते हैं।

चार बिंदुओं पर की गई है समीक्षा
आईसीएमआर का यह अध्ययन इंडियन जनरल ऑफ मेडिकल रिसर्च में भी प्रकाशित होने वाला है। अध्ययन में इंपीरियल कॉलेज लंदन के विशेषज्ञ भी शामिल है। आईसीएमआर के मुताबिक महामारी की तीसरी लहर का पता करने के लिए 4 बिंदुओं पर समीक्षा की गई है। इनमें नए स्वरूप के फैलने की आशंका संक्रमण से ठीक होने वालों में पर्याप्त प्रतिरक्षा का विकास और प्रभावी लॉकडाउन शामिल है। इनके अलावा टीम के विस्तार को लेकर भी अध्ययन किया गया।

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