अगर आप आंखों में चुभन, जलन, लालिमा, थकान या खिंचाव आदि महसूस कर रहे हैं तो यह ड्राय आई का संकेत हो सकता है। ऑप्टोमेट्रिस्ट डॉ. सैम बर्न के मुताबिक, इसके दो कारण हैं। पहला कारण आंखों में सूजन है। अमूमन यह सूजन पलकों या आंसू की ग्रंथियों के पास आती है। वहीं, दूसरा बड़ा कारण डिजिटल आई स्ट्रेन है।अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी CDC का कहना है, कम्प्यूटर या मोबाइल स्क्रीन में देखने पर आंखें 66 प्रतिशत तक कम झपकती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो साल से लॉकडाउन की परिस्थितियों के कारण देश में बच्चे दिनभर में औसतन 4 घंटे स्क्रीन पर बिता रहे हैं।एक्सपर्ट कहते हैं, ऐसे मामलों में 20-20-20 का फार्मूला अपनाएं। हर 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद आंखों को 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें। इससे आंखों को राहत मिलेगी।

अगर बच्चे गैजेट का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, ये बातें सावधानियां ध्यान रखें

कंप्यूटर स्क्रीन को आंखों के लेवल से थोड़ा नीचे 20 इंच की दूरी में या अपने हाथ की लंबाई जितना दूर रखें।

पहले से बच्चे की नजर कमजोर है तो कंप्यूटर या मोबाइल के इस्तेमाल के समय चश्मा जरूर लगवाएं।

स्क्रीन देखते वक्त पलकें झपकाना न भूलें। इससे सूखेपन और धुंधलेपन की समस्या से बच सकते हैं।

स्क्रीन और आस-पास में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। गैजेट की ब्राइटनेस को भी मेंटेन करें ताकि यह बहुत कम या बहुत तेज़ ना हो।

आंखों को थकान होने पर रगड़ने से बचें क्योंकि इससे आंखों में संक्रमण की आशंका बढ़ सकती है।

मोबाइल/कंप्यूटर पर फ़ॉन्ट साइज बड़ा रखें। स्पष्ट फ़ॉन्ट का इस्तेमाल करें। जैसे एरियल को अच्छा फ़ॉन्ट माना गया है।

बच्चों को पर्याप्त नींद और अच्छी मात्रा में पानी पीने के लिए कहें क्योंकि कम पानी पीने से आंखों में सूखेपन के लक्षण बढ़ सकते हैं।

डाइट में ये चीजें लेकर आंखों की सेहत सुधारें

पत्तेदार सब्जियां: पत्तेदार सब्जियों में विटामिन-सी होता है। यह आंखों को होने वाले नुकसान से बचाता है। इनमें फोलेट भी होता है जो विजन लॉस को कम करता है।

नट्स: अखरोट, काजू, मूंगफली आदि में ओमेगा-3 और विटामिन ई पाया जाता है। विटामिन-ई आंसुओं के निर्माण को बेहतर करता है।

सीड्स: चिया और अलसी के बीजों में ओमेगा-3 पाया जाता है। जो आंखों के अलावा हार्ट के लिए भी फायदेमंद होता है।

फलियां: इसमें फाइबर, प्रोटीन, फोलेट और जिंक होता है। जिंक में मेलानिन होता है जो आंखों को नुकसान से बचाता है।

स्क्रिमर टेस्ट से करें ड्राय आई की जांच

बच्चा ड्राय आई से जूझ रहा है या नहीं, स्क्रिमर टेस्ट करके पता लगाया जाता है। डॉक्टर कागज की ब्लॉटिंग स्ट्रिप्स को पलक के नीचे रखते हैं। 5 मिनट बाद सोखे गए आंसू के आधार पर ड्राय आई का पता चलता है।

 

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