छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायत चुनाव का ऐलान हो चुका है। सोमवार 20 जनवरी से छत्तीसगढ़ में आचार संहिता इसी चुनाव की घोषणा के साथ लागू हो चुकी है। अलग-अलग तरीकों पर मतदान और मतगणना होगी 24 फरवरी तक चुनाव की मतगणना खत्म कर ली जाएगी इसका मतलब यह है कि 24 फरवरी तक छत्तीसगढ़ में आचार संहिता लागू रहेगी। क्यों लागू होती है आचार संहिता? किसी भी राज्य में आचार संहिता लागू होने के बाद कई कामों पर पाबंदियां लग जाती हैं। राज्य में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ आचार संहिता यानी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो जाता है। आचार संहिता को लागू करने का मकसद है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से हो सकें।अगर कोई राजनीतिक दल इस आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।ऐसे हालातों में उसके चुनाव लड़ने पर पाबंदी भी लगा सकता है। ये काम आचार संहिता में नही हो सकेंगे। किसी भी काम का नया ठेका नहीं दिया जा सकता। सांसद निधि, विधायक निधि अथवा जन प्रतिनिधियों के कोष से होने वाले काम रोक दिए जाएंगे।कोई भी नया काम शुरू नहीं होगा। किसी नए काम के लिए टेंडर भी नहीं खोले जाएंगे। किसी नए काम की घोषणा नहीं होगी।आचार संहिता लागू होते ही सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता जिससे किसी विशेष दल को फायदा पहुंचता हों। सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है। सरकारी वाहन किसी दल या प्रत्याशी के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।सभी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन के कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं।प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों/पदाधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती पर प्रतिबंध होगा।सत्ताधारी पार्टी ने अपनी उपल्बिधियों वाले जो होर्डिंग/विज्ञापन सरकारी खर्च से लगवाएं हैं, उन सभी को तुरंत हटा दिया जाएगा।किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने की पूर्व अनुमति पुलिस से लेना अनिवार्य होगा।कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकता है।संबंधित राज्य/केंद्रीय सरकार की आधिरकारिक वेबसाइटों से मंत्रियों/राजनेताओं/राजनीतिक दलों के सभी संदर्भों को निकाल दिया जाता है। आचार संहिता की शुरुआत कैसे हुई आदर्श आचार संहिता की शुरुआत 1960 के केरल विधानसभा चुनाव से हुई। राजनीतिक दलों से बातचीत और सहमति से ही आचार संहिता को तैयार किया गया। इसमें पार्टियों और उम्मीदवारों ने तय किया कि वो किन-किन नियमों का पालन करेंगे। 1962 के आम चुनाव के बाद 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी आचार संहिता का पालन हुआ। बाद में उसमें और नियम जुड़ते चले गए। चुनाव आचार संहिता किसी क़ानून का हिस्सा नहीं है हालांकि आदर्श आचार संहिता के कुछ प्रावधान हैं जिसमें इसका उल्लंघन करने वाले पर एफआईआर दर्ज हो जाती है।

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