केजरीवाल सरकार ने अपने बयान में कहा कि उपराज्यपाल के पास ऐसे फैसले लेने का अधिकार नहीं है. वह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं.

नई दिल्ली: 

दिल्ली के उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में नियुक्त लगभग 400 ‘‘विशेषज्ञों” की सेवाओं को समाप्त करने का फैसला किया गया. जिसके बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने सोमवार को एक बयान जारी किया. अपने बयान में केजरीवाल सरकार का कहना है कि वे इस फैसले को अदालत में चुनौती देगी.

दिल्ली सरकार ने अपने बयान में कहा, “उपराज्यपाल दिल्ली को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुले हुए हैं. उन्होंने इन 400 टैलेंटेड यंग प्रोफेशनल को केवल इसलिए बर्खास्त करने का फैसला किया है, क्योंकि इन सभी ने दिल्ली सरकार के साथ जुड़ने का फैसला किया. उपराज्यपाल ने यह फैसला लेते समय नेचुरल जस्टिस के किसी भी सिद्धांत का पालन नहीं किया.”

केजरीवाल सरकार ने अपने बयान में कहा, “एलजी के पास ऐसे फैसले लेने का अधिकार नहीं है. वह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं. उनका एकमात्र उद्देश्य दिल्ली सरकार को पैरालाइज बनाने के लिए हर दिन नए तरीके ढूंढना है, ताकि दिल्ली के लोगों को परेशानी हो.”

आपको बता दें कि वीके उपराज्यपाल सक्सेना ने कल दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में लगे 400 निजी व्यक्तियों की सेवा समाप्त कर दिया. इसको लेकर उपराज्यपाल का कहना है कि ये व्यक्ति गैर-पारदर्शी तरीके से और अथॉरिटी की अनिवार्य मंजूरी के बिना सर्विस में जुड़े थे.

वहीं, अपने बयान में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि इन बर्खास्त किए गए लोगों के खिलाफ एक भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया था.

इसके आगे दिल्ली सरकार ने कहा कि जिन ‘‘विशेषज्ञों” की सेवाओं को समाप्त करने का फैसला एलजी ने किया है, वे आईआईएम अहमदाबाद, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, एनएएलएसएआर, जेएनयू, एनआईटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, कैम्ब्रिज आदि जैसे टॉप कॉलेजों और यूनिवर्सिटि से पढ़े थे. वे दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में शानदार काम कर रहे थे. इन  विशेषज्ञों के उचित प्रक्रिया और प्रशासनिक मानदंडों का पालन करते हुए सेवाओं में शामिल किया गया था.

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