छत्तीसगढ़ में शनिवार से लोक पर्व ‘तीजा-पोरा तिहार’ की शुरुआत हो रही है। त्यौहार को लेकर प्रदेश में गजब का उत्साह है। घर-घर पकवान बन रहे हैं। सीएम हाउस भी लोक पर्व को लेकर सज गया है।
छत्तीसगढ़ में शनिवार से लोक पर्व ‘तीजा-पोरा तिहार’ की शुरुआत हो रही है। त्यौहार को लेकर प्रदेश में गजब का उत्साह है। घर-घर पकवान बन रहे हैं। भूपेश सरकार ने प्रदेश की संस्कृति के सरंक्षण के साथ स्थानीय लोक पर्वों पर अवकाश की शुरुआत की है। आनी वाली पीढ़ी को इन लोक पर्वों से जोड़ने सीएम निवास से लेकर प्रदेशभर में आयोजन हो रहे हैं। सीएम हाउस भी स्वागत के लिए सज गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ‘तीजा-पोरा तिहार’ पर एक भाई के रूप में अपनी बहनों का स्वागत करेंगे। सीएम बघेल ने छत्तीसगढ़ दौरे पर आ रहे केंद्रीय गृहमंत्री को भी सीएम हाउस आने का न्यौता भेजा है। बघेल ने ट्वीट कर बताया कि मैंने अमित शाह को छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति का अनुभव करने मुख्यमंत्री निवास में आमंत्रित किया है।
बता दें कि स्थानीय त्यौहारों को जन सहभागिता के जोड़कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ की संस्कृति का संवर्धन एवं संरक्षण करने का प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहार पोला एवं तीज को व्यापक स्तर पर मनाने के लिए सीएम हाउस में तैयारियां की गई है। सीएम हाउस को छत्तीसगढ़ की परंपरा और रीति रिवाज के अनुसार सजाया गया है। मुख्यमंत्री निवास में पहले पोला पर्व का आयोजन होगा। इस मौके पर नंदी बैल की पूजा की जाएगी। यहां तीजा महोत्सव का भी आयोजन होगा। तीजा महोत्सव में तीजहारिन माताओं एवं बहनों को मुख्यमंत्री निवास में आमंत्रित किया गया है। इस अवसर पर बहनों द्वारा करूभात खाने की रस्म पूरी की जाएगी और छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों का आयोजन किया जाएगा।
पोरा तिहार के बारे में आप भी जानिए
छत्तीसगढ़ का पोरा तिहार मूल रूप से खेती किसानी से जुड़ा पर्व है। खेती किसानी में बैल और गौवंशी पशुओं के महत्व को देखते हुए इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा है। छत्तीसगढ़ के गांवों में इस पर्व में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा की जाती है। इस मौके पर घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदी बैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़चीला, गुलगुला, भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। इस पर्व के अवसर पर बैलों की दौड़ भी आयोजित की जाती है। छत्तीसगढ़ में इस त्योहार को लेकर भारी उत्साह है।
तीजा पर महिलाएं करती हैं निर्जली व्रत
छत्तीसगढ़ में पोरा के बाद तीजा (हरतालिका तीज) मनाया जाएगा। तीजहारिन महिलाएं तीजा मनाने ससुराल से मायके आती हैं। तीजा मनाने बेटियों को पिता या भाई ससुराल से लिवाकर लाते हैं। छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व का इतना अधिक महत्व है कि बुजुर्ग महिलाएं भी इस खास मौके पर मायके आने उत्सुक रहती हैं। महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए तीजा पर्व के एक दिन पहले करू भात ग्रहण कर निर्जला व्रत रखती हैं। तीजा के दिन बालू (रेत) से शिवलिंग बनाया जाता है। फूलों का फुलेरा बनाकर सजाया जाता है और महिलाएं भजन-कीर्तन कर पूरी रात जागकर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।