नई दिल्ली के लाल किला प्रांगण में चल रहे भारत पर्व में छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति, पर्यटन, ग्रामोद्योग हस्तशिल्प और गढ़कलेवा के स्टॉल को बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है। बीते तीन दिनों से छत्तीसगढ़ के स्टॉलों में दर्शकों की भीड़ उमड़ रही है। गढ़कलेवा के स्टॉल में छत्तीसगढ़ी व्यंजन का लुफ्त उठाने के साथ ही लोग छत्तीसगढ़ के पर्यटन के बारे में विशेष रूचि दिखा रहे हैं। विदेशी दर्शक बस्तर दशहरा के बारे में जानकारी ले रहे हैं, जबकि देश के अन्य राज्यों के लोग छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के बारे में जानने के लिए छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के स्टॉल में लगातार पहुंच रहे हैं। शनिवार को अवकाश होने के कारण भारत पर्व में लोगों की भीड़ आम दिनों की अपेक्षा ज्यादा थी। लोग दोपहर दो बजे से ही भारत पर्व में विभिन्न राज्यों के कला संस्कृति, टूरिज्म और खान-पान के बारे में जानकारी लेने के लिए पहुंचने लगे थे।

छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के स्टॉल में पहुंचने वाले सभी दर्शकों को राज्य के पर्यटन स्थलों सहित वहां के जन-जीवन एवं प्राकृतिक परिवेश के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। लोगों ने जशपुर के चाय बागान, राम वन गमन पर्यटन परिपथ को लेकर विशेष रूचि दिखाई और इस संबंध में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। विदेशी पर्यटकों को बस्तर दशहरा के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए राज्य की प्राचीन लोक कला, आदिवासियों के खान-पान, होमस्टेट की सुविधा से अवगत कराया गया। छत्तीसगढ़ के गढ़कलेवा पारंपरिक व्यंजनों का देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए अतिथियों ने खूब स्वाद लिया। गढ़कलेवा के स्टॉल में बच्चों ने इमली के लाटा और बेर (बोईर)का पापड़ी को खूब पसंद किया गया।

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