रायपुर। (नईदुनिया प्रतिनिधि) Raipur Municipal Corporation: छत्तीसगढ़ में रोका छेका अभियान चलाया जा रहा है। रोका-छेका अभियान के तहत रायपुर नगर निगम बेसहारा मवेशियों को पकड़ने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। क्योंकि निगम द्वारा रायपुर जिले में बनाए गए गौठानों में मवेशियों की संख्या क्षमता से अधिक हो गई है। रायपुर निगम के अंतर्गत आने वाले तीनों गौठानों की कुल क्षमता 2050 है। लेकिन वर्तमान में मवेशियों की संख्या 2772 पहुंच गई है। गौठानों में 722 मवेशी अधिक हो गये हैं। गौठानों में मवेशियों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है तो वहीं उनको खाने के लिए हरा चारा भी नहीं दिया जा रहा है। निगम के गौठानों में मवेशी कीचड़ में रहने को मजबूर हैं। निगम के अधिकारी का कहना है कि हरा चारा की व्यवस्था नही हैं। मवेशियों को खाने के लिए सूखा चारा दिया जा रहा है।
ज्ञात हो कि प्रदेशभर में एक जुलाई 2021 से रोका छेका अभियान चलाया जा रहा है। निगम की टीम आवारा मवेशियों को पकड़कर गौठानों में रखने की कार्यवाई कर रही है। रायपुर जिले के अंतर्गत रायपुर नगर निगम द्वारा तीन गौठान जिसमें फुंडहर, टाटीबंध स्थित अटारी और गोकुल नगर में गौठान बनाया गया है। जिसमें फुंडहर में 900, टाटीबंध अटारी 1000, और गोकुल नगर में 400 जानवरों को रखने की क्षमता है। लेकिन मवेशियों की संख्या अधिक होने से बरसात में बचाने और उनके भोजन की पर्याप्त व्यवस्था निगम प्रशासन नहीं कर पा रहा है।
मवेशियों को नहीं मिल रहा हरा चारा
गौठान से मिली जानकारी के मुताबिक गौठानों में एक गाय रखने के लिए तीन बाई छह की जगह की जरूरत पड़ती है। मवेशियों को धूप छांव से बचाने के लिए शेड़ अनिवार्य रूप से होना चाहिए। एक मवेशी को प्रतिदिन पांच किलो हरा चारा, पांच किलो सूखा चारा दो किलो दाना कुल मिलाकर 12 किलो खाने की जरूरत पड़ती है। लेकिन इन गौठानों में मवेशियों को सिर्फ सूखा चारा ही दिया जा रहा है। इसके साथ ही निगम ने गौठान में शेड तो बनाया गया है। लेकिन मवेशियों की संख्या अधिक होने से शेड में मवेशी नहीं आ पा रहे हैं। इस कारण बारिश में खुले आसमान के नीचे मवेशी रहने को मजबूर हैं। नगर निगम इस बारिश में मवेशियों के लिए बेहतर व्यवस्था कर पाने में असलफ साबित हो रहा है। पूरे दिन यहां पकड़े गए मवेशी दौड़ भाग से स्थिति और गंभीर होती जा रही है। गौठानों में चारों तरफ कीचड़ की स्थिति है।
राजधानी की सड़कों पर आठ हजार मवेशी
राजधानी में करीब आठ हजार आवारा मवेशी हैं, जो फल-सब्जी बाजार से लेकर मोहल्लों व गार्डन के आसपास रहते हैं। बेसहारा मवेशियों के कारण लोगों को बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। बारिश के बाद कीचड़ से बचने के लिए मवेशी सड़कों पर जमा हो जाते हैं। इससे हादसे होते रहते हैं। नगर निगम की ओर से मवेशियों को पकड़ने के लिए अभियान चला रहा है।
रोका छेका नोडल अधिकारी आरके डोंगरे ने कहा कि रोका छेका के अंतर्गत शहर में बेसहारा जानवरों को पकड़ने की कार्यवाई की जा रही है। इस कारण गौठानों में जानवरों की संख्या अधिक हो गई है। जानवरों को खाने के लिए सूखा चारा स्टोर करके रखा गया है वही दिया जा रहा है।