भास्कर न्यूज | महासमुंद जिले में रबी सीजन में धान की फसल लेने वाले किसानों को सोसायटियों में रासायनिक खाद के कमी से परेशानी हो रही है। इसके चलते किसान अधिक कीमत पर बाजार दर पर खाद खरीदने के लिए विवश हैं। किसानों के इस समस्या को लेकर पूर्व विधायक विनोद चंद्राकर ने किसानों के लिए सोसाइटियों में खाद की व्यवस्था करने की बात सरकार से कही। विनोद चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले तो किसानों को रबी सीजन में धान फसल लेने से रोकने का फरमान जारी किया गया है। अब साधन संपन्न किसान नलकूप, नहर सिंचाई, कुएं, ट्यूबवेल आदि के माध्यम से रबी की खेती करना चाहते हैं, उन्हें खाद की समस्या से जूझना पड़ रहा है। सरकार जान-बूझकर सोसायटियों में खाद का आबंटन नहीं कर रही है। महासमुंद जिले के सरकारी सोसायटियों में किसानों को खाद नहीं मिल रहा है। किसान मजबूरी में बाजार से महंगे दामों पर खाद खरीद रहे हैं। यूरिया और डीएपी के दाम आसमान छू रहे हैं। 270 रुपए बोरी में मिलने वाला यूरिया अब बाजार में 600 रुपए में मिल रहा है। इसी तरह 1350 की डीएपी 1700 रुपए से भी अधिक दाम पर बिक रही है और किसान बढ़े हुए कीमतों पर खाद खरीदने के लिए विवश हैं। डीएपी व यूरिया खाद की कालाबाजारी तेजी से हो रही है। किसानों ने कहा कि धान का एकमुश्त भुगतान ना कर सरकार ने पहले ही उन्हें भटकने विवश कर दिया है। वर्तमान में धान बेचने वाले किसानों को 10 से 12 दिन तक धान का भुगतान नहीं हो रहा है जिससे वे आैर अधिक परेशान हो रहे हैं। एक तो सोसायटियों में खाद नहीं मिल रहा, दूसरी ओर धान रा​िश भी नहीं मिलने से किसान बाजार से खाद खरीदने कर्ज लेने मजबूर हो रहे हैं।

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