अमलीपदर। आंध्रप्रदेश के ईंट भट्ठे से बगैर काम किए गांव लौट आए मजदूर। भास्कर न्यूज | अमलीपदर मैनपुर ब्लॉक के इंदागांव थाना क्षेत्र में तेंदूपाटी गांव में आदिवासी परिवार के 13 सदस्य का हुक्का पानी बंद कर दिया। परिवार का दोष केवल इतना था कि वे आंध्रप्रदेश के ईंट भट्ठे से बगैर काम किए गांव लौट आए। इन परिवार को मजदूर दलालों ने सहूलियत भरा काम का झांसा दिया। 60 हजार एडवांस देकर आंध्र के बोरा कुंडा गांव में ईंट भट्टे में भेज दिया था। ठेकेदार सप्ताहभर में 20 हजार ईंट बनाने का लक्ष्य दिया। परिवार ने रतजगा कर काम करने के बाद भी इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया तो हाथ-पैर तोड़ने की धमकी दी। वे कच्ची सड़क, पहाड़ों को पार कर किसी तरह पांच दिन का पैदल सफर तय कर गांव पहुंचे, लेकिन गांव में मजदूर दलाल ने ग्रामीणों को भड़काकर पीड़ित परिवार का हुक्का पानी बंद करा दिया। मामले की भनक प्रशासन को देर से लगी तो अब पुलिस स्थिति सामान्य करने में जुटी है, लेकिन पीड़ित परिवार दलालों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अड़े हैं, ताकि घटना की पुनरावृति किसी और के साथ न हो सके। श्रमिकों में दो बच्चे भी शामिल थे, पानी में डुबोकर यातनाएं दीं : तीन विशेष संरक्षण जाति के श्रमिकों समेत कुल 13 लोगों को दलाल आंध्र प्रदेश के बुराकोंडा ले जाए थे। इनमें दो बच्चे भी शामिल थे। वहां के ईंट भट्टी मालिक ने इन मजदूरों को बंधुआ मजदूरी के तहत अमानवीय परिस्थितियों में काम करने पर मजबूर किया। भट्टी मालिक ने मजदूरों से दिन में 24 घंटे काम कराने का दबाव बनाया। मजदूरों ने बताया कि मालिक ने फिल्मी अंदाज में उन्हें पानी में डुबोकर यातनाएं दीं और धमकी दी कि वह उन्हें बंधक बनाए रखेगा। जब श्रमिकों ने गांव लौटने की मांग की और दलाल को पैसा देने की पेशकश की, तब भी मालिक और दलाल ने उन्हें छोड़ा नहीं। मजदूरों ने रात में दीवार फांदकर भट्टी से भागने की योजना बनाई। फिर ये किसी तरह 15 दिसंबर को अपने गांव पहुंचे। गांव पहुंचने पर दलालों के दबाव में गांववालों ने इन श्रमिकों का हुक्का-पानी बंद कर दिया। सामाजिक तिरस्कार के चलते इन मजदूरों और उनके बच्चों की स्थिति और खराब हो गई। मामला मीडिया में आने के बाद प्रशासन हरकत में आया तब तक गांव वालों ने भी उन 13 श्रमिकों को सामाजिक बंधन से मुक्त कर दिया। तहसीलदार अमलीपदर सुशील कुमाइ और एसडीएम मैनपुर पंकज हाहिरे ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि यह घटना श्रमिकों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और दोषियों को कानून के दायरे में लाया जाएगा। तस्करी एजेंटों की पहचान कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कुछ दलालों इस समय मानव तस्करी करते हैं। खेती-किसानी खत्म होने के बाद रोजगार के लिए आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु ले जाकर ईंट भट्टी में काम करवाते हैं। श्रमिकों को ठेकेदार के जाल में फंसाने के लिए पहले से ही एजेंटों द्वारा एडवांस के तौर पर मोटी रकम दी जाती है।