“मेरी आंखों के सामने धमाका हुआ। बम फटते ही गाड़ी और लाश के चिथड़े हवा में उड़ते देखा। ब्लास्ट के बाद फायरिंग भी हुई। मैं गाड़ी से उतरकर पेड़ के पीछे छिप गया था। बहुत डर गया। सोचा आज मारा जाऊंगा। ऐसा लग रहा मानो मौत को छू कर आया हूं। धमाका इतना जोरदार था कि मेरी रूह कांप गई। उस खौफनाक मंजर को नहीं भूल पा रहा हूं।” यह कहना है बीजापुर IED ब्लास्ट के चश्मदीद वाहन चालक डिकेश मंडावी का। DRG जवानों की जिस गाड़ी को नक्सलियों ने उड़ाया, डिकेश ठीक उसके पीछे की गाड़ी में जवानों को लेकर आ रहा था। इस घटना के बाद दैनिक भास्कर ने उससे बात की। डर के चलते उसने शर्त रखी कि उसका चेहरा न दिखाया जाए। पढ़िए डिकेश की जबानी, उस खौफनाक मंजर की पूरी कहानी… जवान कह रहे थे-जल्दी घर पहुंचना है डिकेश ने कहा कि, मैं अपने वाहन में अक्सर जवानों को लाना ले जाना करता हूं। 6 जनवरी को भी जवानों को लेने के लिए बीजापुर जिले के कुटरू के अंदर बेदरे गांव गया हुआ था। इंद्रावती नदी को पार कर जवान आए और एक-एक कर सारी गाड़ियों में बैठ गए। मेरी गाड़ी में मेरे साथ भी कुल 9 लोग बैठे हुए थे। एक मेरे बगल की सीट में, तीन बीच और चार पीछे। मेरे से ठीक सामने तुलेश्वर था, जो अपनी गाड़ी में 8 जवानों को लेकर निकला था। एक के पीछे एक गाड़ियां कतार से चल रहीं थी। हर गाड़ी की एक दूसरे से दूरी कभी 100-200 मीटर तो कभी 60 से 70 मीटर के दायरे में थी। बेदरे से अंबेली के पास तक हमने लगभग 16 किलोमीटर का सफर तय किया। मैं गाड़ी चला रहा था और मेरी गाड़ी में बैठे जवान मुठभेड़ के बारे में जिक्र कर रहे थे। साथ ही कह रहे थे कि हमें अब जल्दी घर पहुंचना है। घर वाले इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही पुल के नजदीक पहुंचे तो अचानक सामने चल रही गाड़ी में बहुत जोर का धमाका हुआ। करीब 300-400 मीटर ऊपर तक टुकड़े उछले होंगे। ब्लास्ट के बाद पत्थर के टुकड़े मेरी गाड़ी तक पहुंचे जवानों के शरीर के चिथड़े और गाड़ी के परखच्चे उड़ते मैंने अपनी आंखों से देखें। मैंने अपनी गाड़ी का जोर से ब्रेक लगाया। टायर स्लिप करते हुए सीधे उस गड्ढे के पास जाकर रुकी, जहां पर ब्लास्ट हुआ था। गाड़ी और गड्ढे की दूरी 10 फीट की ही थी। ब्लास्ट के बाद पत्थर , मिट्टी के टुकड़े भी मेरी गाड़ी के बोनट, कांच में पड़े थे। हालांकि मैं और मेरी गाड़ी में बैठे सारे जवान सुरक्षित थे। जैसे ही मैंने गाड़ी रोकी तो तड़ातड़ गोलियों की आवाज आनी शुरू हुई। सारे जवान नीचे उतरे, मुझे भी नीचे उतरने को कहा। मैं पेड़ के पीछे जाकर छिप गया था। जवान मोर्चा संभाले और उन्होंने भी फायरिंग की। करीब 4 से 5 मिनट तक दोनों तरफ से गोलीबारी हुई। लगा आज मेरा अंतिम दिन है मैं काफी डर गया था। आंखों के सामने मानो अंधेरा सा छा गया था। कांपने लग गया था। सामने जवानों की लाश के टुकड़े पड़े थे। कुछ देर पहले जिस गाड़ी को चलता हुआ देख रहा था उसके पार्ट्स अलग-अलग दिशाओं में पड़े थे। खुद को संभाला। उस समय ऐसा लग रहा था कि मानो आज मेरा अंतिम दिन है। मैं मर जाऊंगा। मन में माता-पिता का ख्याल आ रहा था। बस यही सोचा कि किसी तरह से यहां से निकल जाऊं। घबरा गया था हालांकि कुछ देर के बाद फायरिंग रुकी। बैकअप पार्टी भी मौके पर पहुंची। इसके बाद थोड़ा रिलैक्स लगा। फिर सारे जवान वहां पहुंचे और जवानों के शव को उठा रहे थे। लाश कई टुकड़ों में बंट गई थी। वह नजारा देख बहुत डर गया था। डर तो लगता है लेकिन रोजी-रोटी जरूरी है किसी तरह से मेरी गाड़ी को भी वहां से बाहर निकाला गया। अगर तुलेश्वर की गाड़ी आगे निकलती तो मेरी ही गाड़ी निशाने पर थी। जब यह खबर धीरे-धीरे फैली तो मेरे घर वालों ने यह सोच लिया था कि ब्लास्ट की चपेट में आकर मैं मर गया। हालांकि मुझे ऐसा लगा मानो मैं भी मौत को छू कर आया हूं। कुछ देर बाद रास्ता क्लियर हुआ मैं कुटरू पहुंचा। वहां पहुंचकर सबसे पहले अपने पिता को फोन लगाया। माता-पिता बिलख रहे थे। जब उन्होंने मेरी आवाज सुनी तो उनकी जान में जान आई। मैं घर पहुंचा, परिजनों ने मुझे गले से लगा लिया। डिकेश ने कहा कि, अंदरूनी इलाके में चलने से डर तो लगता है, लेकिन क्या करें जिंदगी जीने के लिए रोजी-रोटी जरूरी है। कमाना-खाना है। 4 दिन बाद भी लाश के चिथड़े आंखों के सामने दिखते डिकेश ने कहा कि, इस घटना को चार दिन हो गए हैं लेकिन मैं उस खौफनाक मंजर को नहीं भूल पा रहा हूं। जब रात में सोता हूं, आंखें बंद होती है तब धमाके की आवाज कानों में सुनाई पड़ती है। जवानों और साथी वाहन चालक के लाश के चिथड़े आंखों के सामने दिखते हैं। ———————————— ये खबर भी पढ़ें… बीजापुर नक्सली हमला, सड़क बनते समय IED लगाई थी:बारूद बिछाने के 3 साल बाद ब्लास्ट किया, DRG जवान ही निशाने पर थे तारीख 6 जनवरी, समय दोपहर 2 बजे और जगह कुटरू का अंबेली गांव, यह वो समय और तारीख है, जब बीजापुर जिले में नक्सलियों ने DRG जवानों से भरी एक गाड़ी को ब्लास्ट कर उड़ा दिया। इसमें 8 जवान और एक ड्राइवर शहीद हो गए। यह साल 2025 का पहला सबसे बड़ा नक्सली हमला है। यहां पढ़ें पूरी खबर…

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