छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में एक अभिनव पहल की गई है। रामचंद्रपुर विकासखंड के चंद्रनगर संकुल केंद्र के अंतर्गत आने वाले आठ सरकारी स्कूलों में बैगलेस शिक्षा प्रणाली लागू कर दी गई है। इस नई व्यवस्था के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को भारी बस्ते का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। शिक्षा विभाग ने एक नवीन पहल करते हुए प्रत्येक छात्र को दो सेट किताबें उपलब्ध कराई हैं। एक सेट घर पर अध्ययन के लिए दिया गया है, जबकि दूसरा सेट स्कूल में रखा गया है। स्कूल में रखे गए किताबों के सेट को पास आउट छात्रों की पुरानी किताबों से तैयार किया गया है। कक्षाओं में विशेष बस्ता कॉर्नर बनाए गए हैं, जहां से छात्र अपनी किताबें लेकर पढ़ाई कर सकते हैं। बच्चों को भारी बस्ते के बोझ से छुटकारा इस नई व्यवस्था में छात्रों को केवल एक कॉपी और पेन लेकर स्कूल आना होता है। स्कूलों में लाइब्रेरी की भी व्यवस्था की गई है, जहां छात्र बारी-बारी से किताबों को पढ़ सकते हैं। इससे न केवल बच्चों को भारी बस्ते के बोझ से छुटकारा मिला है, बल्कि उनकी पढ़ाई भी अधिक व्यवस्थित हो गई है। स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष ध्यान शिक्षा विभाग ने वोकेशनल एजुकेशन पर भी विशेष ध्यान दिया है। स्कूलों में सिलाई मशीनें लगाई गई हैं, जहां छात्राओं को सिलाई की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह कदम उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगा। जिला शिक्षा अधिकारी के अनुसार, भविष्य में जिले के अन्य स्कूलों में भी इस बैगलेस शिक्षा प्रणाली को लागू करने का प्रयास किया जाएगा। अधिकारियों की राय पुष्पेंद्र सिंह संकुल प्रभारी और जिला शिक्षा अधिकारी डी.एन. मिश्रा ने कहा, बैगलेस शिक्षा प्रणाली से बच्चों को बैग के बोझ से राहत मिली है। इससे उनकी पढ़ाई के प्रति रुचि भी बढ़ी है। आगे चलकर जिले के अन्य सरकारी स्कूलों में भी इस प्रणाली को लागू करने की योजना बनाई जा रही है।

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