रायपुर| छत्तीसगढ़ में हजारों किलोमाटर की पक्की सड़कें प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनाई गई हैं। जिसमें सारे नियम-कायदों को ताक पर रखकर गुणवत्ताहीन सड़कों का निर्माण किया गया है। सड़क निर्माण में न तो ग्रेडिंग किया गया है और न लेबल मिलाया गया है। जिससे नवनिर्मित सड़कें उबड़-खाबड़ हैं और धसने लगी हैं। सड़क निर्माण में अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने भारी लापरवाही की है। गरियाबंद जिले में जिस तरह की सड़कों का निर्माण हुआ कमोबेश पूरे राज्य में इस योजना के तहत सड़कों का यही हाल है। गरियाबंद के देवभोग ब्लाक में जिस अधिकारी ने पिछले 25 सालों से अपने पांव जमा रखे हैं उसने ने सिर्फ अपने अधिकार क्षेत्र में अपितु राज्य के दूसरे क्षेत्रों में भी अपना दबदबा बना रखा है उसके संरक्षण में अधिकारी-टेकेदार भ्रष्टाचार का खुला खेल खेल रहे हैं। सरकार-मंत्री से बेखौफ उक्त अधिकारी का जादू उच्चाधिकारियों पर भी ऐसा चलता है कि विभाग में उसने अपना सिक्का जमा लिया है। भ्रष्ट अधिकारी की ताकत देखिए सीएम भूपेश भूपेश बघेल की गांव के विकास योजनाओं की यात्रा को भी निगल रहे और सरकार को बदनाम करने के लिए कोई भी कसर बाकी नहीं रख रहे।
कांकेर जिले के पखांजूर ब्लाक में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत छोटेबेटिया क्षेत्र के मारबेडाटोला से पाकुरकल एवं उराउपारा से जुनवानी तक लाखों रुपये की लागत से सड़क का निर्माण किया गया है। ग्रामीणों ने ठेकेदार पर मनमानी का अरोप लगाते हुए घटिया निर्माण का आरोप लगया है। ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि विभाग के अधिकारी ठेकेदार का बिलिंग अच्छे से कर लेते है, मगर जांच को क्यों नहीं करते। सुदूर अंचल के ग्रामीण नवीन सड़क बनता देख काफी प्रफुल्लित होते है। मगर ठेकेदार अंदरूनी क्षेत्र का फायदा उठाकर अधिकारी इंजीनियर से मिलीभगत कर भारी भ्रष्टाचार करते है। नतीजा चंद दिनों में सड़क का खस्ताहाल है। बारिश में इन सड़कों का खस्ता हाल है।
बालोद जिले में भी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भारी अनियमितता बरती जा रही है। निर्माण एजेंसी द्वारा पुल समेत सड़क निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। दरअसल, झींका से घिना गांव तक लगभग साढ़े 7 किमी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना विभाग की ओर से सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है. 12 जनवरी 2021 से कार्य शुरू होकर 22 जनवरी 2022 तक पूरा किया जाना है. सड़क निर्माण के लिए 394. 26 लाख रुपये की राशि शासन ने स्वीकृत की है, ताकि सड़क निर्माण होने से लोगों को काफी सुविधा मिल सके. लेकिन नियम कायदों को दरकिनार कर गुणवत्ता में हेरफेर करते हुए निर्माण एजेंसी ने लाखों रुपए की लागत से 6 पुल का निर्माण किया।