सरकारी स्कूलों में प्रदेश में पढ़ाई के स्तर में उतार चढ़ाव जारी है। स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की जरूरत बनी हुई है। हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में बच्चे ज्यादा एडमिशन ले रहे हैं। इसलिए इनके प्रतिशत में सुधार हुआ है।
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) -2024 का विमोचन दिल्ली में प्रथम के सह-संस्थापक डॉ. माधव चव्हाण और फरीदा लांबे ने किया। इसमें बताया गया है कि प्रदेश में 3-4 साल के 88 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे पूर्व प्राथमिक विद्यालयों या आंगनबाड़ियों में नामांकित है। यह राष्ट्रीय औसत से आठ फीसदी ज्यादा है। पहली कक्षा में प्रवेश का अनुपात समय के साथ घट रहा है। 2018 में यह 25.6, 2022 में 22.7 और 2024 में 16.7 तक पहुंच गया। प्रदेश में इसमें सुधार होकर 2018 में 17.1 से घटकर 2024 में 11 फीसदी रह गया है। प्राइमरी स्कूलों में नामांकन 2022 से स्थिर बना हुआ है। 88 फीसदी से ज्यादा बच्चे प्राथमिक व आंगनबाडि़यों में
असर के भालचंद्र और सनीत साहू ने बताया कि चौदहवीं बेसिक असर रिपोर्ट शिक्षा विभाग को भेजी जा रही है। रिपोर्ट में में 3 से 16 साल के बच्चों के सर्वे में नामांकन की स्थिति, 5 से 16 वर्ष के बच्चों के बुनियादी पढ़ने और गणित कौशल के बारे में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़े संग्रह किए गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा का प्रावधान है। रिपोर्ट से पता चलता है छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में 3-4 साल के 80 फीसदी से अधिक बच्चे पूर्व प्राथमिक संस्थाओं में पंजीकृत हैं। स्कूलों में मध्यान्ह भोजन, शौचालय, पीने का पानी, पुस्तकालय जैसी सुविधाएं बढ़ रही हैं।
