ओवैसी ने बीजेपी और आरएसएस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बीजेपी और संघ को हर मस्जिद के नीचे मंदिर नजर आता है क्योंकि वो भारत के मुसलमानों को मुगलों से जोड़कर देखते हैं।

Asaduddin Owaisi In Gujarat: गुजरात चुनाव को ध्यान में रखते हुए AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सूरत में एक जनसभा की है। इस जनसभा में ओवैसी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोदी का मुकाबला सिर्फ मैं कर सकता हूं, राहुल गांधी नहीं।

ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बीजेपी और आरएसएस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बीजेपी और संघ को हर मस्जिद के नीचे मंदिर नजर आता है क्योंकि वो भारत के मुसलमानों को मुगलों से जोड़कर देखते हैं। दावा करने को तो मैं भी कह सकता हूं कि मोदी जहां रहते हैं, उसके नीचे मस्जिद है, क्या उसकी भी खुदाई की जाएगी?

उन्होंने कहा कि भारत का मुसलमान किराएदार नहीं है। हिस्सेदार है। लोग हमें मुगलों से जोड़ते हैं, लेकिन हमारा मुगलों से कोई रिश्ता नहीं है। ज्ञानवापी मस्जिद आपकी नहीं है, बाबरी मस्जिद चली गई तो क्या ज्ञानव्यापी को भी जाने देंगे?  ओवैसी ने सभा में मौजूद लोगों से मस्जिदों को आबाद करने की शपथ लेने को भी कहा।

‘मोदी का विकल्प राहुल नहीं बल्कि ओवैसी’

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि छोड़ दीजिए उस कांग्रेस पार्टी को जिसका भारत से वजूद खत्म होता जा रहा है। कांग्रेस पार्टी BJP और मोदी का मुकाबला नहीं कर सकती। अगर कोई जानता है कि कैसे BJP को रोका जाए तो उसका नाम असदुद्दीन ओवैसी और मजलिस है।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी में दम नहीं है कि वह मोदी को रोक सकें या मोदी को जवाब दे सकें। गुजरात में पिछले 25 साल से बीजेपी की सरकार है। यहां AIMIM ने चुनाव नहीं लड़ा। जब पता किया कि बीजेपी कैसे जीत रही है तो समझ आया कि बीजेपी और कांग्रेस का टांका भिड़ा हुआ है। अगर आप कांग्रेस को वोट देंगे तो वो जीतकर बीजेपी के पास चले जाएंगे।

मुसलमानों को सियासी ताकत बनना पड़ेगा: ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि लोगों के घरों और कारोबार पर बुलडोजर चढ़ा दिया जाता है, इससे निजात पाने के लिए मुसलमानों को सियासी ताकत बनना पड़ेगा। बीजेपी के जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आपको अपने नुमाइंदे चुनने होंगे।

ओवैसी ने कहा कि गुजरात में मुसलमान और पटेल दोनों 11 फीसदी हैं लेकिन असेंबली में 44 एमएलए पटेल हैं जबकि सिर्फ मुस्लिम MLA 3 हैं। गुजरात के मुसलमानों को इस बारे में सोचना होगा। अगर मुसलमान को अपनी पहचान को जिंदा रखना है तो सियासत में हिस्सा लेना पड़ेगा। मुसलमानों को ये याद रखना होगा कि वे हुकूमत को नहीं बदल सकते लेकिन अपने नुमाइंदों को कामयाब कर अपने मसलों को हल जरूर कर सकते हैं।

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