ज्ञानवापी मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asduddin Owaisi) लगातार मुखर रहे हैं और उन्‍होंने ट्वीट कर कहा है कि आदेश अनुचित है और हमें उम्‍मीद है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ऐसे आदेश पर रोक लगाएगा.

नई दिल्‍ली. ज्ञानवापी मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asduddin Owaisi) लगातार मुखर रहे हैं और उन्‍होंने ट्वीट कर कहा है कि आदेश अनुचित है और हमें उम्‍मीद है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ऐसे आदेश पर रोक लगाएगा. सुप्रीम कोर्ट 1991 के पूजा स्‍थल अधिनियम, इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी करने और दूसरे पक्ष की सुनवाई के बिना सील करने में अनुचितता को पहचानेगा. उन्‍होंने कहा कि निचली अदालत का आदेश गलत, अनुचित और अवैध था.

उन्‍होंने कहा कि हमें उम्‍मीद है कि सुप्रीम कोर्ट पूर्ण न्‍याय करेगा. इस मामले में गंभीर प्रक्रियात्‍मक अनुचितता हुई थी. आयुक्‍त ने निचली अदालत के जज को रिपोर्ट नहीं दी. याचिकाकर्ता ने आवेदन किया और मुस्लिम पक्ष को नोटिस दिए जाने से पहले, जज ने क्षेत्र की रक्षा करने और नमाजियों की संख्‍या 20 तक सीमित करने का आदेश दिया था. इधर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को उस परिसर को सील करने का निर्देश दिया था, जहां शिवलिंग पाया गया है. वजू खाना में प्रवेश प्रतिबंधित है और इसका उपयोग नहीं किया जाएगा.

ओवैसी लगातार निचली अदालत की कार्यवाही पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि बिना मुस्लिमों से बात किए, उन्‍हें नोटिस में लेकर एक फैसला दे दिया गया है, ऐसे में कार्यवाही कानूनी नहीं रही. हालांकि ओवैसी को उम्‍मीद थी कि ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्वे पर रोक लगाने से मना कर दिया है. ऐसे में ओवैसी ट्विटर पर प्रतिक्रियाएं दे रहे थे. हालांकि अभी सुनवाई जारी रहेगी. 19 मई को एक बार फिर इस मुद्दे पर बहस होगी.

 

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