रीजीजू ने कहा कि बाहरी संस्थाओं की आपत्तियों के बावजूद भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता पर समझौता नहीं किया जा सकता है.

ईटानगर: 

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रीजीजू ने अरुणाचल प्रदेश के साथ चीन के संबंध के दावे को दृढ़ता से खारिज करते हुए कहा कि राज्य भारत का अभिन्न अंग है और ऐतिहासिक रूप से उस देश के साथ इसका कोई संबंध नहीं है. उनकी टिप्पणियां चीन की सेना द्वारा अरुणाचल प्रदेश को “चीन के क्षेत्र का अंतर्निहित हिस्सा” बताने के नए दावे के बाद उपजी स्थिति के बाद आईं. चीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल ही में पूर्वोत्तर राज्य की यात्रा पर भी आपत्ति जताई थी.

रीजीजू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “ऐतिहासिक रूप से, चीन के साथ हमारा कोई संबंध या संपर्क नहीं है. इसलिए अरुणाचल के चीन का हिस्सा होने का कोई सवाल ही नहीं है. राज्य के क्षेत्र पर दावा करने से जमीनी स्तर पर स्थिति नहीं बदलेगी. हमारी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है. अरुणाचल प्रदेश एक भारतीय क्षेत्र है. अपने क्षेत्र को विकसित करना हमारा संप्रभु अधिकार है और कोई भी हम पर आपत्ति नहीं कर सकता.”

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रीजीजू ने प्रधानमंत्री की राज्य की यात्रा पर बीजिंग की आपत्तियों को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री या केंद्र सरकार की कोई भी एजेंसी और उस मामले में कोई भी भारतीय अरुणाचल प्रदेश के किसी भी हिस्से में जा सकता है क्योंकि पूर्वोत्तर राज्य भारतीय संघ का हिस्सा है. उन्होंने कहा, “हमें इसकी परवाह नहीं है कि चीन क्या कहता है.”

सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचना विकास के संदर्भ में रीजीजू ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों, सुरंगों और पुलों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए महत्वपूर्ण प्रगति हुई है.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं क्षेत्र में संपर्कता और विकास को बढ़ाती रहेंगी.

रीजीजू ने कहा कि बाहरी संस्थाओं की आपत्तियों के बावजूद भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता पर समझौता नहीं किया जा सकता है.

मंत्री ने कहा, “कैबिनेट मंत्री होने के नाते मैंने जो कुछ भी कहा वह सरकार का रुख है. भारत सरकार ने अपना रुख बिल्कुल साफ कर दिया है. चीन को अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करने का कोई अधिकार नहीं है.”

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