किसान श्री तेजराम ने अपने 2 हेक्टेयर खेत में उगाया सूरजमुखी

सूरजमुखी की फसल अपनाने सेे तेजराम की आय में होगी बढ़ोत्तरी

फसल चक्र होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में भी हुई वृद्धि

कुछ समय पहले तक छत्तीसगढ़ के किसान धान की फसल के अलावा दूसरी फसलों के बारे में सोचते भी नहीं थे। लेकिन मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा किसानों के लिए शुरू की गई जनहितकारी योजनाओं के चलते किसान अब धान के बदले दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित हो रहे है। क्योंकि धान के अलावा अन्य फसलों को उगाने के लिए शासन छत्तीसगढ़ के किसानों को सब्सिडी दे रही है।

इस योजना से प्रोत्साहित होकर ग्राम बोन्दा विकासखण्ड पुसौर के किसान श्री तेजराम गुप्ता ने अपने खेतों में सूरजमुखी फसल लगाकर दोहरा लाभ उठाने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि उनके पास कुल जमीन 4.130 हे. है। वे सभी में खरीफ  में धान की खेती करते हैं एवं रबी में 2 हे. में धान की खेती करते थे। इस रबी मौसम में ग्रा.क ृ.वि.अधि. श्री एच.के.साहु द्वारा धान फसल के बदले में सूरजमुखी फसल के बारे में बताया गया तथा उनके द्वारा दी गई जानकारी से प्रभावित होकर उन्होंने 2 हे. में सूरजमुखी लगाने का निश्चय किया। कृषि विभाग से उन्हें बीज सुक्ष्म पोषक तत्व एवं कीटनाशक नि:शुल्क प्रदाय किया गया। साथ ही उन्होंने 5 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट स्वयं से क्रय करके उपयोग किया।

किसान श्री तेजराम गुप्ता ने बताया कि खेत की तैयारी के लिये 3 गहरी जुताई एवं 2 बार रोटावेटर से जुताई करके खेत तैयार किया गया। बीज की बुवाई के समय वर्मी कम्पोस्ट को अच्छी तरह खेत में मिलाने के बाद बीज की लाईन से बुवाई किया गया। जिसमें इसके कुछ दिन पश्चात विभागीय अधिकारियों द्वारा भ्रमण किया गया एवं उचित सलाह दिया गया। जिसमें क्षेत्रीय ग्रा.कृ.विअधि. की सहभागिता निरंतर बनी रही। बीज बुवाई के 25-30 दिन बाद निंदाई गुडाई एवं मिट्टी चढ़ाने का काम किया गया। समय-समय पर आवश्यकता अनुसार सिंचाई किया गया। इसमें धान की तुलना में बहुत की कम मात्रा में पानी की आवश्यकता हुई। कीट व्याधि के नियंत्रण के लिये क्लोरोपाईरीफास एवं एजाडिरेक्टीन 1500 पी.पी.एम.का छिड़काव किया गया। वर्तमान में फसल काटने योग्य हो चुका है एवं फसल की उपज काफी अच्छी हुई है। उन्होंने बताया कि इस फसल से काफी मात्रा में लाभ होने की उम्मीद है। किसान श्री तेजराम गुप्ता द्वारा सूरजमुखी की फसल अपनाने में उनकी आय में वृद्धि होगी एवं फसल चक्र होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हुई है। साथ ही साथ खेती की वैज्ञानिक विधियों को किसानों के द्वारा अपनाया जा रहा है।

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