सूत्रों ने पुष्टि की है कि हालिया हफ्तों में अरुणाचल प्रदेश के वायुक्षेत्र में चीन द्वारा किए जा सकने वाले उल्लंघनों को रोकने के लिए लड़ाकू विमानों को ‘दो-तीन बार’ उड़ानें भरनी पड़ीं.
नई दिल्ली:
अरुणाचल प्रदेश के आकाश में भारतीय वायुसेना एक्टिव कॉम्बैट पैट्रोल उड़ानें भर रही है, ताकि चीन द्वारा वायुक्षेत्र उल्लंघन को रोका जा सके. यह जानकारी सूत्रों ने मंगलवार को दी. सूत्रों ने पुष्टि की है कि हालिया हफ्तों में अरुणाचल प्रदेश के वायुक्षेत्र में चीन द्वारा किए जा सकने वाले उल्लंघनों को रोकने के लिए लड़ाकू विमानों को ‘दो-तीन बार’ उड़ानें भरनी पड़ीं.
भारतीय वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश में LAC के पार चीन की हवाई गतिविधियां बढ़ी हुई महसूस की हैं. सोमवार को पता चला था कि पिछले सप्ताह भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर संक्षिप्त झड़प हुई, जिसके बाद दोनों सेनाएं पीछे हट गईं.
यह झड़प अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर को हुई थी. सूत्रों के अनुसार, चीनी सेना ने LAC को पार कर लिया था, जिसका भारतीय जवानों ने ‘सख्त और पुष्ट तरीके से’ विरोध किया.
सूत्रों ने बताया कि ‘दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें’ आईं तथा दोनों ही पक्ष ‘तुरंत इलाके से पीछे हट गए…’
लम्बे अरसे पहले पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में हुई झड़पों के बाद यह पहला मौका है, जब भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प की ख़बरें आई हैं.
दोनों सेनाओं के बीच सबसे बुरी झड़प जून, 2020 में गलवान घाटी में हुई थी, जब 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे, और चीन के भी 40 से ज़्यादा सैनिक मारे गए थे या ज़ख्मी हुए थे. इसके बाद दोनों देशों के बीच कई बार झड़पें हुईं, जिनमें पैंगोंग लेक के दक्षिणी तट पर हुई झड़प भी शामिल है.
मिलिटरी कमांडरों के बीच कई बैठकों के बाद लद्दाख स्थित गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स समेत कई अहम ठिकानों से भारतीय और चीनी सेनाएं पीछे हटी थीं. सरकारी सूत्रों के अनुसार, सीमा के ‘अलग-अलग अनुमानों’ के चलते इस तरह की झड़पें दोनों देशों के बीच वर्ष 2006 से ही होती आ रही हैं.