पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा कि पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के कार्यकाल में नगर निगम अंबिकापुर को कम पैसे मिले। शहर की सड़कों के काम नहीं हुए। विधानसभा चुनाव में यह हार का कारण बना। नगर निगम क्षेत्र से कांग्रेस पिछड़ गई। अंबिकापुर महापौर का पहला कार्यकाल अच्छा था, इसलिए दूसरे कार्यकाल में जीत मिली। पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने अंबिकापुर नगर निगम के महापौर डा. अजय तिर्की के दूसरे कार्यकाल को 10 में से 6.5 अंक दिया है। जबकि पहले कार्यकाल को वे 7 नंबर देते हैं। टीएस सिंहदेव ने कहा कि पहला कार्यकाल अच्छा था। महापौर के पहले कार्यकाल (2014 से 2019) में काम अच्छा था, जिसके कारण उन्हें दूबारा मौका मिला। हमारी गलती, फंड नहीं दिला पाए
भूपेश सरकार में डिप्टी सीएम रहे टीएस सिंहदेव ने कहा कि दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस की सरकार के दौरान चूक हुई। नगर निगम को पर्याप्त फंड नहीं मिला। इस कारण कई काम नहीं हुए। खासकर सड़कों का काम नहीं हो पाया। सिंहदेव ने कहा कि शहर की प्रमुख सड़कें एनएच और पीडब्लूडी की हैं, लेकिन इन्हें भी नगर निगम का मान लिया जाता है। जो निगम की सड़कें थीं, उनका काम नहीं हो पाया। निगम क्षेत्र में खराब सड़कों के कारण मिली हार
टीएस सिंहदेव ने कहा कि सड़कों की खराब स्थिति का खामियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ा। वार्डों के अंदर की सड़कों के काम नहीं हुए। निगम क्षेत्र से पिछड़ गए, जिसके कारण विधानसभा चुनाव में हार मिली। इसका आंकलन किया जा चुका है। सिंहदेव ने कहा कि नगर निगम के पैसे ही पूरे प्रदेश में हमर क्लिनिक स्थापित हुए। जल आपूर्ति के लिए अमृत मिशन का काम इसी कार्यकाल में हुआ। स्टेडियम परिसर में कई काम हुए। बिजली का विस्तार हुआ। कई काम हुए, लेकिन यह और हो सकता था। जो काम हुए उनका प्रचार नहीं किया तो इसका नुकसान हुआ। 94 मतों हारे थे सिंहदेव
टीएस सिंहदेव ने कहा कि पिछली सरकार में कम फंड अंबिकापुर को क्यों मिले? यह किसी से ढंका-छिपा नहीं है। सब जानते हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में टीएस सिंहदेव प्रतिद्वंदी राजेश अग्रवाल से मात्र 94 मतों से हारे थे। अंबिकापुर निगम क्षेत्र से सिंहदेव प्रतिद्वंदी राजेश अग्रवाल से 8431 मतों से पीछे हो गए। अंबिकापुर शहरी क्षेत्र से सिंहदेव के पिछड़ने का बड़ा कारण नगर निगम सरकार की नाकामी माना गया। महापौर डा. अजय तिर्की पूर्व डिप्टी सीएम के करीबी हैं। अंबिकापुर निगम से विकास कार्यों के प्रस्तावों को पूर्ववर्ती सरकार ने रोके रखा। भूपेश बघेल एवं सिंहदेव के बीच खींचतान को इसका कारण माना गया।