महासमुंद और गरियाबंद जिले के बीच बसे हथखोज गांव में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर अद्भुत आध्यात्मिक दृश्य देखने को मिला। जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर स्थित महानदी की सूखी रेत पर हजारों श्रद्धालुओं ने सूखा लेहरा लिया। दूर दराज से लोग ‘घोंडुल मेले’ में शिरकत की और शक्ति लहरी की आराधना की। प्राचीन परंपरा के अनुसार, श्रद्धालुओं ने शिव परिवार की पाषाण प्रतिमा के दर्शन किए और पूरे दिन भक्ति-भजन में लीन रहे। सबसे आकर्षक दृश्य तब देखने को मिला जब लोगों ने रेत पर दंडवत होकर सूखा लहरा लिया। मान्यता है कि देवी की आराधना के बाद जब श्रद्धालु दोनों हाथों की अंगुलियां जोड़कर रेत पर लेटते हैं, तो उनका शरीर बिना किसी प्रयास के पानी की लहरों की तरह खुद लहराने लगता है। हथखोज को सप्तधारा संगम के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां सरगी, केशवा, बघनई, सूखा नदी, पैरी, सोंढूर और महानदी का संगम होता है। श्रद्धालुओं ने सूखा नदी की रेत पर शिवलिंग बनाकर पूजा-अर्चना की। इस दौरान एक विशेष घटना यह देखी गई कि जब सहयोगी द्वारा हाथ लगाया गया, तो लोग स्वतः ही रेत पर लुढ़कने लगे। कुछ श्रद्धालु कुछ दूरी तय करने के बाद स्वयं रुक गए, जबकि कुछ को रोकना पड़ा। इस अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव में महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सभी शामिल हुए। पौष मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्य की उपासना करने का एक विशेष महत्त्व होता है। इस दिन से खरमास खत्म हो जाता है। जिससे शुभ व मांगलिक कार्यों की फिर से शुरुआत हो जाती है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में गोचर करते हैं, जिसे उत्तरायण भी कहते हैं। आज के बाद से मौसम में बदलाव शुरू हो जाएगा और ठंड धीरे-धीरे समाप्त होगी तथा बसंत ऋतु लगेगी। मकर संक्रांति पर्व पर सिरपुर के महानदी तट पर लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई और सूर्य देवता को अर्घ्य दिया।