खुशबू को न महसूस कर पाना यानी सूंघने की क्षमता का घटना कोविड का एक बड़ा लक्षण है। ज्यादातर लोगों को लगता है ऐसा सिर्फ कोविड होने पर होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। कई ऐसी बीमारियां हैं, जिसमें सूंघने की क्षमता घट जाती है। सूंघने की घटती क्षमता अल्जाइमर्स, सिजोफ्रेनिया या दूसरी ऑटो इम्यून बीमारी का संकेत हो सकता है। इन बीमारियों में ब्रेन के वो हिस्से सिकुड़ जाता है या प्रभावित हो जाता है जो जो सूंघने के लिए काम करता है।

 

पार्किंन्सन फाउंडेशन के अनुसार, पार्किंन्सन बीमारी से पीड़ित अधिकांश लोगों में सूंघने की कुछ क्षमता घट जाती है। इसे हाइपोस्मिया कहा जाता है। ऐसे में यह गंभीर खतरा हो सकता है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजिशियंस के अनुसार, जिन बुजुर्गों में सूंघने की क्षमता कम पाई गई उनमें अगले 10 साल में मृत्यु का खतरा 50% तक अधिक रहा। हालांकि कई बार सामान्य जुकाम में भी यह क्षमता घटती है। इसके अलावा सूंघने की क्षमता घटे तो सावधान हो जाएं। एक्सपर्ट कहते हैं, गंध का अहसास न होने के पीछे राइनाइटिस, दवाओं का साइडइफेक्ट और वायरल इंफेक्शन भी हो सकता है। कुछ मामलों में ब्रेन ट्यूमर होने पर भी ऐसा हो सकता है। अगर लम्बे समय तक गंध का अहसास नहीं हो रहा है तो यह डिमेंशिया का एक लक्षण भी हो सकता है।

 

बुकलेट टेस्ट बताता है सूंघने की क्षमता

इसमें कई पन्नों की एक बुकलेट होती है, जिसमें विशेष गंध से भरे छोटे-छोटे बुलबुले होते हैं। पीड़ित को प्रत्येक पन्ने को खुरचने और गंध को पहचानने के लिए कहा जाता है। अगर वे गंध को सूंघ नहीं सकते हैं, या फिर गलत तरीके से पहचानते हैं तो यह गंध की घटती क्षमता का संकेत माना जाता है। यह टेस्ट किसी नाक, कान और गला विशेषज्ञ की निगरानी में ही होना चाहिए।

 

महिलाओं में सूंघने की क्षमता ज्यादा

फोर्टिस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनोज शर्मा कहते हैं, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की सूंघने की क्षमता अधिक होती है। गर्भवती में यह क्षमता और अधिक होती है।

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