बस्तर में ड्रैगन फ्रूट के बाद अब‎ पैशन फ्रूट भी देखने और खाने को‎ मिलेगा। अब तक बस्तर के कृषि‎ वैज्ञानिक धान की कई वैरायटियों‎ को विकसित कर चुके हैं, लेकिन‎ अब उद्यानिकी कॉलेज के‎ वैज्ञानिक पैशन फ्रूट (कृष्ण फल)‎ की सात वैरायटियों को तैयार करने‎ में जुटे हुए हैं। यह प्रयोग उद्यानिकी‎ कॉलेज के वैज्ञानिक राम कुमार‎ देवांगन ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ‎ मिलकर शुरू भी कर दिया है।‎
देवांगन ने बस्तर जिले के मानसून‎ और यहां की मिट्टी की अनुकूलता‎ को देखते हुए यहां पर कृष्ण फल‎ की खेती को प्रोत्साहित करने के‎ लिए करीब डेढ़ साल पहले इस‎ काम को शुरू किया। और इस‎ प्रयोग में वे काफी हद तक सफल‎ रहे। अभी हालत यह है कि‎ वैज्ञानिकों ने करीब आधे एकड़ में‎ कृष्ण फल की खेती भी शुरू कर‎ दी है। वैज्ञानिक ने बताया कि आने‎ वाले दिनों में एक बार फिर से‎ करीब आधे एकड़ में इसकी खेती‎ की जाएगी। वैज्ञानिकों ने बताया‎ कि यह पैशन फ्रूट है। इसे सामान्य‎ तौर कृष्ण फल भी कहा जाता है ।‎ इस फल की खेती मुख्य रूप से‎ दक्षिण अमेरिका के‎ ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती‎ है। अब भारत के नागालैंड,‎ असम, नागालैंड, मणिपुर में भी‎ इसकी खेती शुरू हो गई है। वहीं‎ अब बस्तर के लोगों को भी इसका‎ स्वाद चखने को मिलेगा। आगे किसान सात
प्रकार के कृष्ण फलों एगा सकेंगे।‎ इसमें पिंक व ग्रीन वेरायटी हैदराबाद की तो बेंगलुरु की‎ रेड, ग्राडिला, येलो और कानिएन के साथ येलो,‎ ऑरेंज, स्वीट शामिल है।
पहले प्रयोग के सफल होने में लग गए डेढ़ साल‎
वैज्ञानिक राम कुमार और अन्य हैदराबाद गए थे। यहां के‎ वैज्ञानिकों की राय पर दो वैरायटी के पौधे लाए और‎ रिसर्च की। पाया कि इसकी कई और वैरायटियों बस्तर‎ में हो सकती हैं। कुछ पौधे और लाकर खेती की। इसमें‎ डेढ़ साल लगे। उद्यानिकी काॅलेज के अधिष्ठाता जीपी‎ नाग ने कहा खेती को बढ़ावा देने कोशिश की है। मेहनत‎ का असर आगे दिखेगा।‎

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