भास्कर न्यूज| अंबागढ़ चौकी धान का उठाव नहीं होने से ब्लाक के परसाटोला व विचारपुर धान खरीदी केन्द्र में मंगलवार से खरीदी बंद हो गई है। यदि एक-दो दिनों में इन केन्द्रों से धान का उठाव नहीं हुआ तो खरीदी कब शुरू होगी इसकी संभावना नजर नहीं आ रही है। इधर केन्द्र में खरीदी बंद किए जाने से मंगलवार को धान बेचने के लिए पहुंचे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। धान का उठाव नहीं होने से अंबागढ़ चौकी विकासखंड के प्रमुख धान खरीदी केन्द्र चिल्हाटी में 16 दिसंबर से धान खरीदी बंद है। बताया जाता है कि जिला सहकारी समिति यूनियन के आव्हान पर 16 से 22 दिसंबर तक ब्लाक के सभी धान खरीदी केन्द्र अंबागढ़ चौकी, कौड़ीकसा, परसाटोला, छछानपाहरी, आतरगांव, ढाढुटोला, आमाटोला, चिल्हाटी, विचारपुर, रेंगाकठेरा, आडेझार में धान खरीदी बंद रही। कुछ केन्द्रों में 23 व 24 दिसंबर तक किसानों के दबाव में खरीदी शुरू हुई इसके बाद फिर से 25 दिसंबर से खरीदी बंद हो गई है। बंद केन्द्रों में खरीदी जल्द से जल्द शुरू कराई जाएगी: एसडीएम: एसडीएम डॉ. हेमेन्द्र भूआर्य ने कहा कि किसानों से शिकायत व सूचना मिली है। धान का उठाव के लिए निर्देश दिए गए हैं। बंद केन्द्रों में खरीदी जल्द से जल्द शुरू कराई जाएगी। परसाटोला में 36 हजार क्विंटल धान की खरीदी ब्लाक के परसाटोला धान खरीदी केन्द्र में धान खरीदी जगह के अभाव में मंगलवार से बंद कर दी गई है। यहां के प्रबंधक दीपक साहू ने बताया कि इस केन्द्र में 36 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई है। जिसमे से मात्र 6 हजार क्विंटल धान का उठाव हुआ है। तीस हजार क्विंटल धान केन्द्र में जाम पड़ा हुआ है। अब धान खरीदी होगी तो केन्द्र में धान को रखने के लिए जगह ही नहीं बचा है। प्रबंधक की माने तो इस केन्द्र में अब तक डीओ व टीओ ही नहीं कटा है। उन्होंने बताया कि जब तक धान का उठाव नहीं होगा वे खरीदी कर पाने में असमर्थ है। चिल्हाटी केंद्र में 48 हजार क्विंटल धान जाम पड़ा है ब्लाक के प्रमुख सोसायटी व धान खरीदी केन्द्र चिल्हाटी में 48 हजार 494 क्विंटल धान जाम पड़ा हुआ है। जगह के अभाव में पखवाड़े भर से इस केन्द्र में धान खरीदी नहीं हो पा रही है। चिल्हाटी के प्रबंधक योगेश त्रिपुरे ने बताया कि चिल्हाटी व इसके उपकेन्द्र कोरचाटोला में अब तक कुल 54 हजार 334 क्विंटल धान खरीदी की गई है। जिसमें से मात्र 5 हजार 840 क्विंटल धान का उठाव हुआ है। केन्द्र में धान का उठाव नहीं किए जाने से यहां पर धान रखने को जगह ही नहीं है। इसके कारण मजबूरी में खरीदी बंद करनी पड़ गई है।

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