अक्सर हम लोग पैरेंट्स को भूल जाते हैं। हमारी तो जान अपने पैरेंट्स में होती है, लेकिन हम इतने खोए हुए रहते हैं कि हमें पता ही नहीं चलता। अच्छे पैरेंट्स अपनी जिंदगी कुर्बान कर देते हैं हमारे लिए और हमें एहसास तक नहीं दिलाते। बच्चे जब छोटे होते हैं तो हम कहते हैं, अरे यार कोई संभाल लो उनको। क्योंकि मैं अभी कुछ और कर रहा हूं। हम हमेशा काम के नशे में डूबे रहते हैं। मैं नहीं कहता कि काम का नशा अच्छा नहीं होता, बस इसमें बैलेंस जरूरी है। ये कहना है बॉलीवुड एक्टर और मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान का। वे मंगलवार को दैनिक भास्कर की सफलता के ऐतिहासिक 36 वर्ष पूरे होने पर आयोजित भास्कर उत्सव के समापन समारोह में मौजूद थे। उन्होंने रिश्तों की अहमियत पर बात की। टॉक शो को मायएफएम के आरजे कार्तिक ने मॉडरेट किया। पढि़ए चर्चा के प्रमुख अंश… बिटिया की शादी थी तो आपने फादर इन लॉ वाला लुक ले लिया था, क्या सीक्रेट है आपका 18 साल वाला लुक?
आमिर: मैं अब तक सोचता हूं कि 18 साल का ही हूं। शायद ये मेरी सोच के कारण हो सकता है। जो जैसा सोचता है, वो वैसा ही हो जाता है। माइंड इज पावरफुल थिंक। इसलिए ऐसा हो सकता है।
आर माधवन ने ए​क किस्सा शेयर किया था कि आमिर खान अपने साथ वॉलेट नहीं रखते, क्या ये सच है?
आमिर: जब एक्टर नहीं था उस वक्त वॉलेट रखता था। जब मैं एक्टर बना तो दो-तीन चीजें हुई। मैंने घड़ी पहननी छोड़ दी। क्योंकि जब आप शूट में जाते हैं तो किरदार के हिसाब से आपको अपनी पर्सनल चीजें उतारनी पड़ती है और किरदार के हिसाब से तैयार होना पड़ता है। एक-दो हफ्ते बाद मुझे एहसास हुआ कि जब किरदार के हिसाब से ही रहना है तो क्यों मैं ये चीजें लेकर जाऊं। तब से ये सब घर में ही छोड़ना शुरू कर दिया। अब ये आदत बन गई है।
अपने बच्चों को लेकर आप क्या सोचते हैं, कुछ आपसे पूछा उन्होंने?
आमिर: मुझे लगता है कि बच्चे जब 18 बरस के हो जाएं तो उनको अपने सारे निर्णय खुद लेने चाहिए। मैं खुद के निर्णय से आगे बढ़ा हूं। बच्चों को भी यही आजादी मिलनी चाहिए। जुनैद, आयरा, आजाद तीनों के मामले में मैं दखल नहीं देता हूं। जब एकाध गलती करेंगे तो खुद सीखेंगे। अच्छा लगता है कि जुनैद ने अपना रास्ता खुद चुना और वह बॉलीवुड में आ रहा है। अध्यात्म से शुरू हुआ भास्कर उत्सव आमिर ने किया समापन पहले दिन धर्म-अध्यात्म-आस्था जैसे विषयों पर योगगुरु स्वामी रामदेव और अध्यात्म गुरु पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बीच चर्चा के साथ शुरू हुआ। दूसरे दिन कविताओं की महफिल सजी। कुमार विश्वास, सुरेंद्र दुबे, दिनेश बावरा, सुदीप भोला, पद्मिनी शर्मा, पीयूष मालवीय ने दर्शकों को हंसाया। तीसरे दिन आशुतोष राणा की टीम ने रामायण के अनछुए प्रसंगों को ‘मेरे राम’ के जरिए पेश किया। हजारों दर्शक तीन घंटे तक कुर्सियों से बंधे रहे। आखिर में आमिर के टॉक शो के साथ भास्कर उत्सव की यात्रा मुकाम तक पहुंची।

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