आप परफेक्शनिस्ट, रिश्तों में परफेक्शन की जरूरत अब क्यों पड़ रही? इस पर मशहूर अभिनेता आमिर खान कहते हैं, हमें स्कूल लाइफ में केमिस्ट्री, फिजिक्स, हिस्ट्री, ज्यॉग्राफी, मैथ्स और लैंग्वेज सिखाई जाती है। लेकिन जीवन कैसे जीना है, ये कहीं नहीं सिखाया जाता। आपने अलजेब्रा में या फिजिक्स-केमिस्ट्री में जो कुछ सीखा है, वो आज आपके जीवन में किस काम का है? मुझे लगता है, स्कूलों में बच्चों को यह सब भी सिखाना चाहिए कि लाइफ की सामान्य जिम्मेदारियां कैसे निभाई जाती हैं। रिश्ते, भरोसा, ईमानदारी, सिविक सेंस…ये सब इंसान को आगे ले जाते हैं। रायपुर में दैनिक भास्कर के भास्कर उत्सव में पहुंचे आमिर खान ने बॉलीवुड, पर्सनल लाइफ, शिक्षा समेत कई मुद्दों पर बात की। विस्तार से पढ़िए उनसे खास बातचीत के अंश… सवाल- आप बॉलीवुड के वर्सेटाइल एक्टर, मिस्टर परफेक्शनिस्ट हैं। एक पिता और पति के तौर पर खुद को कितना परफेक्ट देखते हैं? जवाब: मैंने 18 वर्ष की उम्र में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम शुरू किया था। इस काम में इतना खो गया कि वो मेरे लिए महज काम नहीं रहा। दिन-रात उसी में बिजी रहता था। पिता या पति के रूप में क्या जिम्मेदारी थी, सब भूलने लगा। करीब साढ़े तीन साल पहले कोविड के दौरान जिंदगी को देखने-तौलने पर एहसास हुआ कि जिस पैशन, नशे में खोया हुआ था, उससे पर्सनल लाइफ से दूर हो गया हूं, कई ऐसी चीजें खो चुका हूं जो लाइफ में बेहद जरूरी हैं। तब से खुद को बेहद बदला। अपने बच्चों, अम्मी, भाई-बहन, पत्नी रीना और किरण के भी नजदीक हूं। आज मैं जितना वक्त रीना और किरण जी के साथ बिताता हूं, पूरे फोकस के साथ बिताता हूं। तब भी उनके साथ था, लेकिन फोकस कहीं और था। अब पूरा ध्यान उनकी ओर है। अब जाकर जिंदगी मैं उन्हें वह दे पा रहा हूं और इसकी खुशी खुद उठा पा रहा हूं। सवाल- आपने हर तरह की फिल्में बना ली। अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कब आएंगे? जवाब: अभी कोई प्लान नहीं है, लेकिन कभी कोई ऐसा रोल या कहानी आए, जो ओटीटी पर ज्यादा उभरकर आए, तब इस बारे में जरूर विचार करूंगा। ओटीटी की फिल्में लॉन्ग फॉर्मेट कम्यूनिकेशन हैं। फिलहाल ऐसा मौका अभी आया नहीं है। सवाल- बॉलीवुड साउथ की रीमेक के पीछे पड़ा है, क्या खुद के पास कोई अच्छी कहानी या कॉन्सेप्ट नहीं है? जवाब: हमारी फिल्मों के रिमेक्स भी साउथ में बनते हैं। एक वक्त था जब भाषाएं इतनी फैली नहीं थी। हिंदी फिल्मों का रीमेक कई भाषाओं में बना सकते हैं। अब लोग डेप्थ कंटेंट भी देख लेते हैं, इससे फर्क तो पड़ा है। मैंने दुनिया की सबसे कामयाब फिल्म फॉरेस्ट गंप का रीमेक बनाया। जब मैं लालसिंह चड्डा बना रहा था, तब लोगों को पता चला कि यह हॉलीवुड फिल्म फॉरेस्ट गंप की रीमेक है तो उस फिल्म की व्यूअरशिप रातों-रात बढ़ गई। जब तक मेरी फिल्म आई, तब तक लोगों ने वो देख ली थी। रीमेक आज के समय में खतरे से खाली नहीं है। सवाल- तारे जमीं के सीक्वल की खबर है। यह कितना खास है और क्यों है? जवाब: सीक्वल बना रहा हूं। नाम है ‘सितारे जमीं पर’। फर्क यह है कि जिस तरह ‘तारे जमीं पर’ ने रुलाया था। ‘सितारे जमीं पर’ खूब हंसाएगी। यह ह्यूमरिस्ट फिल्म है। कॉमेडी का हम इस्तेमाल करते हैं कहानी बताने के लिए। ये ‘तारे जमीं पर से’ 10 कदम आगे है। जो संदेश हमने उस फिल्म से दिया था, वही संदेश एक और बड़े पैमाने पर हम इसमें दे रहे हैं। सिर्फ तरीका अलग है। यह जून तक फ्लोर पर आ जाएगी। सवाल- आप सबसे ज्यादा परेशान किन चीजों से होते हैं। ऐसे वक्त में किससे बात करते हैं?
जवाब: मैं परेशान होता ही नहीं कभी भी। मेरी एक फिलॉसफी है। हमारे हाथ में कुछ चीजें होती हैं और कुछ नहीं होती। ज्यादातर चीजें हमारे हाथ में नहीं होती। जिंदगी में आप कुछ सोचते हैं तब ऊपरवाला कुछ और सोच रहा होता है। वो मुस्कुराता है कि अच्छा..आप ऐसा सोच रहे हैं। जो चीजें आपके हाथ में हैं, उनमें आप जान डाल दो। जितनी कोशिश कर सकते हो, करो। फिर छोड़ दो, क्योंकि वह आपके हाथ में है नहीं। जो भी नतीजा आता है, उसे स्वीकार करो। अगर आपने एक्सेप्ट नहीं किया। उसके खिलाफ लड़ ही रहे हैं और दीवार पर सिर पीट रहे हैं तो वह चीज तो बदलने वाली है नहीं। सवाल- आप बेटी आयरा के साथ इन दिनों जॉइंट थैरेपी ले रहे हैं? इसके पीछे क्या थ्योरी है? जवाब: फैमिली टाइम मेरा अलग है। जुनैद, आयरा, रीना और मैं… हफ्ते में हम चारों कम से कम एक दिन मिलते हैं। काम खत्म होने के बाद उनके साथ वक्त बिताता हूं। बच्चों को भी पता है कि आमिर कब-कहां हैं। थैरेपी का अलग टाइम है। इससे काफी फायदा हुआ। पर्सनल लाइफ में, रिश्तों में पॉजिटिव इंपैक्ट आया। जब हम थैरेपी करते हैं तो हमें अपनी लाइफ की कमजोरियां समझ में आती हैं। हम हमेशा सोचते हैं कि परेशानियां बाहर हैं। हमें लगता है कि फलां आदमी परेशान कर रहा है। जब हम 18 साल के होते हैं। हम पर जिम्मेदारियां आती हैं तो हम अपने रिश्तों को कैसे आगे ले जाएं? वक्त कैसे निकालें? पत्नी-बच्चों के साथ कैसे रहें? माता-पिता के साथ कैसे रहें? पब्लिक के बीच कैसे रहें? ये कभी नहीं बताया जाता। बाकी वह हर सारी चीज सिखाई जाती हैं, जो आगे चलकर बेमायने होती हैं। वाटर और एग्रीकल्चर पर काम करने की जरूरत आमिर ने बताया, आठ साल पहले हमने पानी फाउंडेशन शुरू किया था। मेरे अजीज दोस्त सत्यजीत भटकल और हमने टीवी प्रोग्राम सत्यमेव जयते शुरू किया था। तीन सीजन के बाद सोचा चौथा करें या नहीं? तय किया कि पानी पर काम किया जाए। महाराष्ट्र को चुना, जहां पानी की बड़ी समस्या थी। सत्या, मैं, किरण जी और रीना जी ने मिलकर सिर्फ वाटर मैनेजमेंट में काम किया। फिर एग्रीकल्चर में काम शुरू किया। वह सफर अमेजिंग था। गजब का अनुभव रहा। इस दोनों फील्ड पर आज भी काम करने की जरूरत है। …………………………………………… भास्कर उत्सव में आमिर खान से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… आमिर खान ने बताई सलमान से गुस्से की वजह: रायपुर भास्कर उत्सव में अमिताभ की पेंटिंग बनाई; महिला से कहा-तोर से अब्बड़ मया करथों रायपुर में दैनिक भास्कर की ऐतिहासिक सफलता को 36 साल पूरे हो गए हैं। इस खास अवसर को यादगार बनाने के आज रायपुर में बॉलीवुड टॉक शो का आयोजन किया गया। इसमें एक्टर आमिर खान शामिल हुए। RJ कार्तिक ने उनसे फिल्मी दुनिया और उनकी लाइफ से जुड़े दिलचस्प सवाल किए। पढ़ें पूरी खबर
