नक्सल प्रभावित जिला बस्तर के पोरदेम के जंगल में डीआरजी जवानों ने 5 लाख के इनामी नक्सली संतोष मरकाम को मार गिराने का दावा किया था, लेकिन अब  एनकाउंटर को लेकर अनेक सवाल  उठ रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि नीलवाया गांव में जवानों ने निहत्थे संतोष मरकाम पर गोली चलाई थीं. विरोध में दंतेवाड़ा के ज़िला अस्पताल में कई ग्रामीण धरने पर बैठ गए हैं. ग्रामीणों ने शव लेने से भी इनकार कर दिया है. ग्रामीणों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी भी मौजूद थीं.

इससे पहले ग्रामीण नारायणपुर ओरछा थाना के घेराव करने पहुंचे. रैली निकाल कर अबूझमाड़ के 25 से अधिक पंचायतों में  ग्रामीण पहुंचे. ग्रामीणों ने ओरछा में 19 जून को हुई मुठभेड़ को फर्जी बताया. कहा गया कि दो ग्रामीणों को घर से ले जाकर डीआरजी के जवानों ने एनकाउंटर किया था. परिजनों का आरोप है कि दो ग्रामीणों को वर्दी पहनाकर नक्सली बताया गया.

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने संतोष मरकाम की मुठभेड़ में मौत की पुष्टि करते हुए उसे नीलावाया की घटना का मास्टरमाइंड बताया था. एसपी ने कहा था कि कोटेम और नीलावाया  के जंगलों में बड़े नक्सली नेताओं के होने की सूचना पर डीआरजी की टीम तलाशी के लिए निकली थी. इस दौरान जवानों का सामना नक्सलियों से हो गया. दोनों तरफ से फायरिंग के दौरान जवानों ने एक नक्सली को मार गिराया. उसकी शिनाख्त मलंगर एरिया कमेटी मेंबर संतोष मरकाम के रूप में की गई थी.

2018 विधानसभा चुनाव के दौरान नीलावया में विस्फोट में 3 जवान और दूरदर्शन का एक कैमरामैन शहीद हो गया था.

ग्रामीणों के बीच रात से डटी समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने पुलिस मुठभेड़ पर तो सवाल उठाये ही हैं, सामाजिक कार्यकर्ताओं नंदनी सुंदर, शालनी गेरा, बेला भाटिया, आलोक शुक्ला जैसे लोगों से भी सवाल पूछा है और कहा है कि वो आदिवासियों की आवाज बनने दंतेवाड़ा पहुंचें. सोरी ने अप्रत्यक्ष रूप से इन सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमला बोलते हुए कहा है कि कुछ लोग दिल्ली से हवाई सफर कर बस्तर में आदिवासियों की लड़ाई लड़ने पहुंच जाते हैं.

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