अबकी बार लौटा तो

बृहत्तर लौटूंगा

चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं

कमर में बांधें लोहे की पूँछे नहीं

जगह दूंगा साथ चल रहे लोगों को

तरेर कर न देखूंगा उन्हें

भूखी शेर-आँखों से

अबकी बार लौटा तो

मनुष्यतर लौटूंगा

घर से निकलते

सड़को पर चलते

बसों पर चढ़ते

ट्रेनें पकड़ते

जगह बेजगह कुचला पड़ा

पिद्दी-सा जानवर नहीं

अगर बचा रहा तो

कृतज्ञतर लौटूंगा

अबकी बार लौटा तो

हताहत नहीं

सबके हिताहित को सोचता

पूर्णतर लौटूंगा

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