भास्कर न्यूज | महासमुंद नगर पालिका टैक्स वसूलने में काफी पिछड़ चुका है। बीते दो वित्तीय वर्षों में जो लक्ष्य मिला था, उसके मुकाबले आधी राशि भी वसूली नहीं हो पाई है। राजस्व वसूली करने में पिछड़ गए है। बकायादारों को नोटिस देने के बाद भी कई लोग राशि जमा नहीं कर रहे हैं। इसके चलते राशि वसूलने में नगर पालिका के अधिकारियों के पसीने छूटने लगे हैं। अधिकारी होने वाले नगरीय चुनाव ड्यूटी में मतदाता सूची के कार्यों व हड़ताल के कारण टैक्स नहीं वसूली होने की बात कह रहे हैं। अब तीन साल तक बकाया जमा नहीं करने वालों को चिह्नांकित कर नोटिस शामिल किया जा रहा है। नगर पालिका को वित्तीय वर्ष 24-25 और पिछले साल की संपत्तिकर, समेकित कर, जलकर, यूजर चार्जेस समेत अन्य कर मिलाकर कुल 7 करोड़ 51 लाख 60 हजार रुपए वसूलना था। लेकिन अभी तक केवल 1 करोड़ 39 लाख 61 हजार यानी 18 प्रतिशत की वसूली हो पाई है। जबकि 6 करोड़ 11 लाख 99 हजार रुपए अभी भी वसूलना बाकी है। जबकि पिछले साल का 3 करोड़ 6 लाख 98 हजार रुपए बकाया था। 31 मार्च तक अंतिम तिथि है। अब केवल 3 महीने शेष रह गए है। ऐसे में नपा को टैक्स वसूली नपा के लिए चुनौती है। जो संभव नहीं दिख रही है। जलकर कार्य प्रभारी सीताराम चेलक ने बताया कि समय पर राशि जमा नहीं करने वाले बकायादारों को अब वार्डों के हिसाब से बिल और नोटिस भेजा जा रहा है। साथ ही मार्च के पहले राशि जमा करने कही गई है। उन्होंने बताया कि 50 से अधिक प्रकरण को लोकअदालत में भेजा गया था। इनमें से एक भी बकायादार ने राशि जमा नहीं कराई हैं। नगर पालिका में दुकानों का भी किराया राशि बकाया है। अधूरे काम को कराने सरकार का मुंह ताकने मजबूर है पालिका पिछले साल का 3 करोड़ रुपए बकाया था। ऐेसे बकायादारों को नोटिस जारी किया, लेकिन कार्रवाई नहीं होने के कारण बकायादार राशि जमा नहीं कर रहे हैं। संपत्तिकर वसूली नहीं होने के कारण इसका असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है। इसके कारण शहर में फंड की कमी के चलते अभी भी कई काम अधूरे पड़े हुए हैं। कई शुरू नहीं हो पाए हैं। नपा को काम कराने सरकार का मुंह ताकना पड़ता है। विवरण टैक्स वसूली संपत्ति कर 112.95 करोड़ 19.37 लाख समेकित कर 113.23 करोड़ 15.32 लाख जलकर 4.53 करोड़ 43.31 लाख दुकानों का किराया 17.35 लाख 2.57 लाख नगर पालिका के द्वारा काम्पलेक्स बनाया गया है। इसमें से 25 दुकानों बीते 2 साल से तैयार है। बावजूद 1 साल बीत जाने के बाद भी अब तक एक भी दुकानों का आवंटन नहीं किया गया है। इसके कारण स्थानीय लोगों को महंगे दामों में दुकान किराए में लेकर अपनी व्यवसाय चला रहे है। बिन सीएमओ के कारण अब कोई भी अधिकारी कर्मचारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। लिहाजा नपा में न केवल कार्य भी लोगों से जुड़ी समस्या का अटकी हुई है।