शहर के पचपेड़ी नाका स्थित राजधानी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल का लाइसेंस कर दिया गया है। अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का आदेश कलेक्टर सौरभ कुमार ने जारी किया।कुछ दिन पहले इस अस्पताल में बड़ा हादसा हुआ था। अस्पताल में शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी। इसमें लिखा है कि नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पताल ले फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट पेश नहीं किया। मंजूरी सेकंड फ्लोर तक ही थी, पर तीन मंजिला अस्पताल चल रहा था। इसलिए अस्पताल को जारी किया गया लाइसेंस रद्द किया जाता है। 17 अप्रैल को अस्पताल के कोविड वार्ड में आग लग गई थी। हादसे में एक मरीज की झुलस कर और 5 की दम घुटने से मौत हो गई थी।
हादसे में जान गंवाने वाले ईश्वर राव नाम के बेटे दिल्ली राव ने बताया, उनके पिता अस्पताल में भर्ती थे। वह घटना वाले दिन अपनी, मां और बहन को लेकर कोविड टेस्ट कराने AIIMS गया था। तभी दोपहर करीब 2 बजे अस्पताल वालों ने फोन किया कि पेमेंट करना है। इस वक्त अस्पताल में आग लग चुकी थी, मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा।’दिल्ली की बहन ने बताया, रुपए जमा करने के लिए हम ATM खोज रहे थे। जिससे पापा की अच्छी देख-रेख हो, पर तब तक तो वो जल चुके थे।’ हम अस्पताल के सामने ऐंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ी देखकर डर गए। कोई कुछ नहीं बता रहा था। अस्पताल वाले बात करने को राजी नहीं थे। मैंने कुछ नही सुना और ऊपर जाकर देखा, बेड पर मेरे पिता जले पड़े हुए थे। मैंने अपने हाथ से उनके चेहरे पर पड़ा कपड़ा हटाया तो देखा उनकी डेथ हो चुकी थी। हम 5 घंटे तक चीखते रहे कि कोई उन्हें बाहर निकाल दो, अरे लाश तो दे दो मगर अस्पताल वालों ने कुछ नहीं सुनी
पचपेड़ी नाका इलाके में राजधानी नाम के कोविड अस्पताल में 17 अप्रैल की दोपहर आग लगी। इसकी वजह अब तक शॉर्ट सर्किट को बताया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में अस्पताल में आग बुझाने के कोई इंतजाम, इमरजेंसी एग्जिट और वेंटिलेशन का प्रॉपर इंतजाम नहींं मिला है। हादसे के दिन, रात के वक्त जिला कलेक्टर डॉक्टर एस भारतीदासन और सीनियर SP अजय यादव घटनास्थल पर पहुंच गए थे। हादसे के बाद 19 मरीजों के दूसरे अस्पताल और 10 को यशोदा अस्पताल भेजा गया। हादसे के फौरन बाद मृतकों के परिजनों के लिए सरकार ने 4-4 लाख रुपए का मुआवजा देने का एलान किया है।
राजधानी अस्पताल अग्निकांड में 6 कोविड मरीजों की मौत के मामले में जांच कर रही फोरेंसिक टीम ने खुलासा किया कि आग एसआईसीयू के एक पंखे में लगी और संभवत: ज्यादा ऑक्सीजन की वजह से वार्ड में तेजी से फैल गई। पंखा आईसीयू के छोटे से आइसोलेशन केबिन में लगा था। इसमें स्टाफ भी बैठता था और मरीजों की फाइलेें भी थीं। इसी के ऊपर लगा पंखा शॉर्ट सर्किट से जला और सीधे फाइलों में जा गिरा। इससे आग भभकी। इस केबिन से लगे बेड में रमेश साहू थे, जो अचेत थे। आग इतनी तेजी से उनके बेड तक पहुंची कि उन्हें उठाने का मौका नहीं मिला। उनकी वहीं मौत हो गई इसके एक-दो मिनट के भीतर आग पूरे वार्ड में फैल गई।
अस्पताल के लायसेंस रद्द होने पर इस हादसे में अपने भाई को खो चुके प्रिय प्रकाश ने कहा कि आप मेरी जगह रहकर सोचिए मेरे भाई ही पूरा परिवार चलाया करते थे, आज उनके बच्चों को कोई वैसी परवरिश नहीं दे सकता जैसी वो दे सकते थे। मेरा भाई तो लौटाया नहीं जा सकता। मगर लापरवाही से संचालित अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई हो, इसे पूरी तरह से बंद किया जाए। मृतकों के घर वालों को अस्पताल की तरफ से मुआवजा मिलना चाहिए ताकि उन्हें आगे के जीवन के लिए कुछ तो सहारा मिले। डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई कब होगी पूछने पर कोई जानकारी नहीं देता। हादसे के 16 दिन बाद दो डॉक्टर सचिन मल और डॉक्टर अरविंदाे को गिरफ्तार किया गया मगर वो कोर्ट से छूट गए।