आज चंद्रशेखर आजाद की 115वीं जयंती है। जब अज्ञात वास के दौरान चंद्रशेखर आजाद ने बुंदेलखंड में ही रहकर कुछ समय व्यतीत किया था। बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों में वे नाम बदलकर रहे। पंडित हरिशंकर ब्रह्मचारी के नाम सेओरछा स्थित सातार में वह एक कुटिया में रहते थे। सातार में उनकी कुटी क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र बन गई थी। अधिकांश गुप्त योजनाएं इसी कुटी में बनती थीं।

चंद्रशेखर आजाद को बुंदेलखंड का खाना खासकर यहां की कढ़ी बेहद पसंद थी। ओरछा के जंगलों में उन्होंने दूसरे क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण और बच्चों को अध्यापन कराया। इसके साथ ही यहां उन्होंने अपने साथियों के साथ निशानेबाजी भी की।चंद्रशेखर आजाद ने भगत सिंह और उनके साथियों को बुंदेलखंड में गोली चलाना सिखाया था। आजाद और मां जगरानी को बुंदेलखंड से बड़ा लगाव था।

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