संघर्ष एक ऐसी चीज़ है जिसका सामना करना हर किसी के बस की बात नहीं | भारत में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपने इन्हीं संघर्षो से एक नई कहानी रच दी है ऐसे ही एक व्यक्ति है भारत के नागरिक सम्मान पदम् श्री 2021 से सम्मानित श्रीधर वेम्बू |उन्हें 2021 में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड में भी नियुक्त किया गया है | 1968 में तमिलनाडु के तंजावुर जिले में एक साधारण परिवार में जन्में| इनके पिता एक स्टेनोग्राफर थे | सरकारी स्कूल में पढ़ाई पूरी करके उन्होंने आईआईटी मद्रास में उच्च शिक्षा हासिल की| 1989 में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कम्पलीट की | पीएचडी के बाद उन्होंने 1994 ने क्वालकॉम कंपनी में नौकरी की |
श्रीधर जापान और ताइवान जैसे देशो की उन्नाति से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने बहुत अध्ययन के बाद पाया कि भारत की सबसे बड़ी समस्या यहां की सोशलिज्म है और उन्होंने भारत की सामाजिक, आर्थिक असमानता, गांवो से शहरों की ओर बढ़ता पलायन, गांवो में तकनीकि और आधुनिक शिक्षा की समस्या को दूर करने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से अपने जोहो कॉर्पोरेशन का हेड ऑफिस भारत में लाने का निश्चय किया 1996 में इस कंपनी का नाम सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट था 2009 में इसका नाम जोहो रखा गया| यह एक सॉफ्टवेयर कंपनी है जिसका 18 हजार करोड़ का टर्नओवर है|
श्रीधर ने भारत लौटकर फ्री स्कूल, कॉलेजेस और यूनिवर्सिटीज़ खोलकर गांवो के बच्चो को शिक्षा देने में लगे गये| जोहो कॉर्पोरेशन ने अमेरिका के कैलिफोर्निया में अपने बिज़नेस की शुरुआत की और 3410 करोड़ के रेवेन्यू के साथ टेक इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया | इतना सक्सेस पाने के बाद भी जब श्रीधर वेम्बू ने मुख्यालय को भारत ले जाने की बात की तो अमेरिकी बोर्ड ऑफिस में सन्नाटा सा छा गया पर श्रीधर ने मन बना लिया था कि जब माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और एप्पल जैसी कंपनियां भारत में अपना बिज़नेस इतने अच्छे से कायम कर सकते है तो जोहो को भी अब स्वदेश की ओर लौटना चाहिए|
श्रीधर का भारत लौटने के पीछे एक सकारात्मक सोंच थी वे किसी अमेरिकी बैंक, एजेंसी या स्टॉक एक्सचेंज के दबाव में आकर नहीं कर रहे थे बल्कि उनका संकल्प तो जोहो के प्रॉफिट का बहुत बढ़ा हिस्सा भारत में शिक्षा पर निवेश करने का था और वे अपने इसी संकल्प को पूरा करने में निरंतर लगे रहे | साधारण सी लुंगी और शर्ट में रहने वाले श्रीधर साइकिल में ही दिखाई देते है परंतु जोहो कॉर्पोरेशन के सीईओ और फाउंडर है जिनका जीवन सादगी से परिपूर्ण है और कोई भी यह नहीं कह सकता की इनकी कंपनी में लाखों लोग नौकरी करते है जोहो का नेट वर्थ US 2.5 $ है और आज यह भारत के लिए एक गौरव की बात है की हमारे देश में कुछ ऐसे लोग भी है जो अपने देश के लोगों के लिए इतने अच्छे प्रयास कर रहे है|