सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को लेकर चल रही बहस में जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस मिलने के संकेत, केंद्र सरकार 31 अगस्त को कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेगी

नई दिल्ली: 

क्या जम्मू कश्मीर को अपनी पहचान यानी राज्य का दर्जा दुबारा जल्द वापस मिलने वाला है? सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को लेकर चल रही बहस तो यही इशारा करती दिखाई पड़ती है. केंद्र सरकार को इस मसले पर 31 अगस्त को कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखना है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक उच्च स्तरीय अफसर में एनडीटीवी इंडिया को बताया, “बहुत जल्द जम्मू कश्मीर को उसका राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा. वैसे भी सुरक्षा के लिहाज से हालात बेहतर है, इसलिए यह फैसला लेने में केंद्र को भी कोई हिचकिचाहट नहीं होगी.”

अधिकारी के मुताबिक सरकार में इस मामले को लेकर कोई संदेह नहीं है क्योंकि राज्य का दर्जा वापस करने की बात खुद प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री कई बार संसद में कह चुके हैं.

जी20 की बैठक से पहले जम्मू कश्मीर को लेकर कुछ ऐलान होने की संभावना

जानकारी यह भी मिली है कि जी20 की बैठक दिल्ली में होने से पहले केंद्र जम्मू कश्मीर को लेकर कुछ ऐलान कर सकता है. जी20 में हिस्सा लेने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी दिल्ली आ रहे हैं. अमेरिका हमेशा इस बात के पक्ष में रहा है कि कश्मीर मसले का हल भारत और पाकिस्तान बातचीत के जरिए ही निकाल सकते हैं.

दिलचस्प यह भी है कि पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने हाल ही में बयान दिया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच जहां वाजपेयी सरकार और मुशर्रफ के बीच की बातचीत का सिलसिला टूटा था, वह दुबारा वहां से शुरू किया जा सकता है.

यह एक जाल है, जिससे बचना ही बेहतर : उमर अब्दुल्ला

हालांकि जम्मू कश्मीर की दो मुख्य राजनीतिक पार्टियां इसे केंद्र सरकार का नया पैंतरा बता रही हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि, ”सॉलिसिटर जनरल (एसजी) एक बहुत ही सक्षम और चतुर वकील हैं. वह तर्कों के जरिए केंद्र के मतानुसार ध्यान ‘सामान्य स्थिति’ पर केंद्रित करने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक जाल है जिससे बचना ही बेहतर है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति या सामान्य स्थिति पर शासन करने के लिए याचिका नहीं दी गई है. माननीय मुख्य न्यायाधीश और पीठ के अन्य न्यायाधीशों के लिए सरल प्रश्न यह तय करना है कि 2019 में जम्मू-कश्मीर पर थोपे गए बदलाव कानूनी और संवैधानिक थे या नहीं. बाकी सब तो मन बहलाव है.”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *